गुजरात में घृणा का अंत नहीं

 किसी भी समुदाय के खिलाफ हर हिंसा का विरोध करना चाहिए

Update: 2018-10-10 11:27 GMT

इस समय गुजरात में जो हो रहा है वह राष्ट्रीय शर्म की बात है। पर इसके लिए गुजरात का नेतृत्व ही जिम्मेदार है। गुजरात के बहुसंख्यक हिन्दुओं को घृणा करने का प्रशिक्षण दिया गया था। उनकी घृणा के निशाने पर मुसलमान थे। गुजरात में कहा गया‘”हम पांच हमारे पच्चीस‘‘, ”सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं परंतु सभी आतंकवादी मुसलमान हैं‘‘ और “जब एक पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाता है तो दुःख होता है‘‘। इसी घृणा के सहारे चुनाव जीते गए।

गांधीजी कहा करते थे “मैं अंग्रेजी साम्राज्य से घृणा करता हूं पर अंगे्रजों से नहीं‘‘। उनके इसी महान विचार के कारण अनेक प्रमुख अंग्रेजों ने हमारे आजादी के आंदोलन को समर्थन दिया था। इन महान अंग्रेजों में जार्ज बनार्ड शॉ, बट्रेड रसेल, सीईएम जोष, हैराल्ड लास्की आदि शामिल थे। मीरा बेन ने तो इंग्लैड से भारत आकर जिंदगी भर बापू का साथ दिया।

कृप्या घृणा न फैलाएं। पाकिस्तान में पहले हिन्दुओं, ईसाईयों और सिक्खों को निशाना बनाया गया। जब इनमें से अधिकांश पाकिस्तान से चले गए और उनका अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया तब अहमदियाओं, शियाओं और मुहाजिरों को निशाना बनाया जाने लगा। यही नहीं, उन व्यक्तियों के साथ भी हिंसा की गई जिन्होंने इन समुदायों के साथ की जा रही ज्यादतियों का विरोध किया।

घृणा फैलाने वालों को याद रखना चाहिए घृणा एक प्रवृत्ति, एक मानसिकता है और यह एक समुदाय की दूसरे समुदाय से घृणा से प्रारंभ होती है परंतु धीरे-धीरे यह कैंसर की तरह फैल जाती है और सबको अपना शिकार बनाती है।

इसलिए हमें बदला लेने के के भाव से किसी भी समुदाय के खिलाफ की जाने वाली हर हिंसा का विरोध करना चाहिए और यह सदैव याद रखना चाहिए कि किसी समुदाय के एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों द्वारा किए गए किसी अपराध का बदला उस समुदाय के निर्दोष लोगों से लेने की प्रवृत्ति पूर्णतः गलत है। किसी भी अपराध के दोषियों को पकड़ने का अधिकार सिर्फ पुलिस को है और सजा देने का न्यायपालिका को।

Similar News

Justifying The Unjustifiable

How Votes Were Counted

The Damning Of Greta Thunberg