महिला पत्रकारों पर असम पुलिस का बर्बर हमला
देश भर के पत्रकार संगठनों ने तत्काल कार्रवाई की मांग की
विभिन्न पत्रकार संगठनों ने असम पुलिस द्वारा पत्रकारों पर किये गये हमले की घोर निंदा की है. असम – मिज़ोरम सीमा पर अपने काम में जुटे पत्रकारों पर पुलिस ने विगत 10 मार्च को लाठियां बरसायी थी.
नयी दिल्ली स्थित पत्रकार संगठनों ने भी असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल को पत्र लिखकर इस संबंध में उचित कार्रवाई की मांग की है.
खबरों के मुताबिक, असम – मिज़ोरम सीमा पर स्थित कोलासिब जिले के भैराबी शहर के निकट छात्रों के एक प्रदर्शन को कवर करने के दौरान कम – से – कम दो पत्रकार - न्यूज़ 18 की रिपोर्टर एमी सी. लाव्बेई और आल इंडिया रेडियो की संवाददाता कैथरीन सी संगी - घायल हो गये.
प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के गौतम लाहिड़ी, इंडियन प्रेस कॉर्प्स की शोभना जैन एवं फेडरेशन ऑफ़ प्रेस क्लब्स इन इंडिया के नदीम ए. काज़मी द्वारा जारी बयान में कहा गया, “ यह जानने के बावजूद कि वे दोनों पत्रकार हैं प्रदर्शनकारी नहीं, पुलिस उन्हें पीटती रही. जैसा कि आपको मालूम है कि भारतीय गणतंत्र के चौथे खंभे पर विरोध प्रदर्शनों समेत विभिन्न मसलों को लोगों तक पहुचाने की जिम्मेदारी है. इस लिहाज से असम पुलिस की यह हरकत पूरी तरह से गैर - मुनासिब और गैर- जिम्मेदार थी. पुलिस द्वारा किये गये लाठीचार्ज में एक टीवी चैनल से जुड़ी एक महिला पत्रकार समेत कई पत्रकारों को चोटें आयीं.”
बयान में आगे कहा गया कि इस मसले पर एक समयबद्ध कार्रवाई की जरुरत है ताकि इस किस्म की घटनायें भविष्य में न दोहराई जायें.
बयान में यह भी कहा गया कि “हमारी मांग है कि पत्रकारों को पीटने में शामिल पुलिसकर्मियों की पहचान के लिए आवश्यक और समयबद्ध कदम उठाये जायें. हमें उम्मीद है कि आपका महकमा इस मसले पर आवश्यक गंभीरता दिखाते हुए कार्रवाई करेगा ताकि पत्रकार भय और असुरक्षा से मुक्त वातावरण में अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम हो सकें.”
इस बीच, पुलिस के हमले में घायल पत्रकार एमी सी. लाव्बेई ने अपने चोटों की तस्वीरें जारी की हैं.
इस घटना के बाद फेसबुक पर अपने एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “हम उन पत्रकारों में हैं जो जमीनी स्तर पर होने वाली घटनाओं को कवर करने आये थे. हमारा एकमात्र हथियार कैमरा, कलम और नोटपैड है. फिर भी आपने हमें पीटा और गोलियां दागीं. आपकी अनभिज्ञता और हमलोगों के प्रति आपके आक्रामक व्यवहार से मैं खिन्न हूं. प्रेस पर प्रहार करना बंद कीजिए.”
उन्होंने पत्रकारों पर हमले की बात से इनकार करने के लिए असम के हैलाकंडी के उपायुक्त आदिल खान की भी घनघोर आलोचना की.