कठुआ बलात्कार कांड के आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने का वकीलों ने किया विरोध
घाटी में ध्रुवीकरण फैलाने वाले वकीलों की कांग्रेस पार्टी ने आलोचना की
कांग्रेस पार्टी ने कठुआ बलात्कार एवं हत्याकांड में एक पूर्व नौकरशाह और एक स्पेशल पुलिस अफसर की गिरफ्तारी के विरोध को “राजनीति से प्रेरित” करार दिया है. उधर, व्यवसायियों के एक संगठन ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने का विरोध करने वाले एक बार एसोसिएशन के वकीलों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.
जम्मू – कश्मीर के अध्यक्ष जी. ए. मीर ने कहा, “इस गिरफ़्तारी का विरोध राजनीति से प्रेरित है. और यह राज्य में ध्रुवीकरण फैलाने की नीयत से उठाया गया कदम है. जम्मू में वकीलों द्वारा किये गये निर्लज्ज विरोध ने कानून के पेशे को शर्मसार किया है. न्याय की प्रक्रिया में व्यवधान की कोशिश अपराध को बढ़ावा देने जैसा है.”
कठुआ के एक न्यायालय में जम्मू – कश्मीर पुलिस के अपराध शाखा के अधिकारी अपने वकीलों के साथ कठुआ बलात्कार एवं हत्याकांड के आरोपी एक पूर्व नौकरशाह और दो स्पेशल पुलिस अफसरों के खिलाफ कल जब चार्जशीट दायर करने पहुंचे तो न्यायालय के बाहर वकीलों के एक समूह ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया.
कथित रूप से हिन्दू दक्षिणपंथी समूह द्वारा समर्थित वकीलों का समूह और आरोपियों के परिजन इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की मांग कर रहे हैं, जिसे जम्मू – कश्मीर की सरकार ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है. राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है.
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री मीर ने कहा, “ न्यायालय में आम लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ही जब इस किस्म की हरकत करेंगे तो कोई उनसे क्या अपेक्षा करेगा. वकीलों का यह कदम निहायत ही बचकाना और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बेशर्मी की इन्तेहां है.”
इस बीच, इन प्रदर्शनों के बावजूद अपराध शाखा के अधिकारियों ने कल इस मामले में चार्जशीट दायर कर दिया. बता दें कि आरोपियों के परिवारों की दो महिलाएं, जिनमें राम की पत्नी शामिल हैं, इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की मांग के साथ पिछले 31 मार्च से आमरण अनशन पर बैठी हैं.
इस मामले की जांच के दौरान अपराध शाखा के अधिकारियों ने सांप्रदायिक घृणा और विभाजनकारी सोच की दहला देने वाली एक कहानी का खुलासा किया जिसका सूत्रधार कथित रूप से भूतपूर्व नौकरशाह संजी राम माना जा रहा है. इस भूतपूर्व नौकरशाह ने कथित रूप से एक पुलिसकर्मी की मदद से बहुसंख्यक हिन्दू आबादी वाले रसाना गांव में रह रहे घुमंतू मुसलमानों के एक छोटे समूह को आंतकित करने के लिए इस घटना की साजिश रची.
अपराध शाखा के सूत्रों के मुताबिक, आठ वर्षीय पीड़िता के ताज़ा पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं डीएनए प्रोफाइलिंग समेत अन्य जांचों से यह खुलासा हुआ है कि पीड़िता को एक मंदिर में कैद रखा गया था जहां राम ने पुजारी की भूमिका निभायी.
सूत्र ने बताया, “मंदिर में मिले बालों के अंश आठ साल की मासूम बच्ची बालों से मेल खाते हैं जिससे यह निस्संदेह रूप से साबित होता है कि उसे वहां कैद कर रखा गया था.” जांच रिपोर्टों से यह भी खुलासा हुआ कि पीड़िता को नशीली दवाओं के प्रभाव में रखा गया था ताकि वह कोई शोर न मचा सके और उसका कम – से – कम दो बार बलात्कार हुआ था.
इस बीच, घाटी के एक व्यावसायिक संगठन, कश्मीर इकोनोमिक अलायन्स, के अध्यक्ष हाजी मुहम्मद यासीन खान ने घाटी में विरोध प्रदर्शनों की चेतावनी देते हुए राज्य सरकार से उन वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की जिन्होंने अभियोजन दल के सदस्यों को न्यायालय परिसर में घुसने से रोकने की कोशिश की थी.
श्री खान ने कहा, “ हम लोगों ने राज्य सरकार को इस बात के लिए चेताया है कि वो बाधा डालने वाले वकीलों एवं ऐसे अन्य तत्वों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे या फिर घाटी में विरोध प्रदर्शनों का सामना करने के लिए तैयार रहे.”