पहले फायरिंग में मां की मौत और अब पिता की छांव से महरूम मासूम मरयम
पत्थरबाजी के आरोप में गिरफ्तार मरयम के पिता की रिहाई के लिए सरकार से अपील
जम्मू – कश्मीर पुलिस ने एक सात महीने की मासूम बच्ची, मरयम, के पिता को पत्थरबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया है. मरयम की मां पिछले दिसम्बर में उत्तरी कश्मीर में आतंकवादियों एवं सुरक्षा बलों के बीच हुई एक मुठभेड़ के दौरान मारी गयी थीं.
ख़बरों के मुताबिक, हंदवारा के चोवगल इलाके के निवासी इशफाक अहमद वानी को पत्थरबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. अधिकारियों ने बताया, “तस्वीरों में उसे हंदवारा में दो प्रदर्शनों के दौरान पत्थरबाजों का नेतृत्व करते हुए पाया गया. उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया.”
वानी की पत्नी, मिसरा बानो, पिछले 11 दिसम्बर को उनिसू गांव में उस वक्त मारी गयीं जब सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों की सूचना पाकर इलाके की घेराबंदी की. वानी ने तब कहा था कि मुठभेड़ की रात सबों को अपने – अपने घरों से बाहर आने का आदेश देने बाद सुरक्षा बलों द्वारा उसकी पत्नी को गोली मार दी गयी.
इस घटना के बाद कश्मीर में प्रदर्शनों और बंद का सिलसिला शुरू हो गया था. सीमावर्ती कुपवाड़ा जिले में हुए मुठभेड़ में तीन आतंकवादी भी मारे गए थे. मां की मौत के बाद मरयम की देखरेख उसके पिता द्वारा की जा रही थी.
उसके एक रिश्तेदार ने कहा, “ उसकी (मरयम के पिता की) गिरफ्तारी मानवता के सभी नियमों के खिलाफ है. अभी पांच महीने पहले ही उसकी मां को उससे छीन लिया गया था. और अब उसके पिता को भी उससे जुदा कर दिया गया है. एक मासूम बच्ची अपने मां –बाप के बगैर कैसे रहेगी.”
उस मासूम के रिश्तेदारों ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से उसके पिता को मानवीय आधार पर रिहा करने की अपील की है. एक अन्य रिश्तेदार ने कहा, “मिसरा की मौत के बाद वो अपने पिता के साथ घुलमिल गयी थी और अगर वो भी चला गया तो उस मासूम बच्ची के लिए यह अच्छा नहीं होगा.”
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल होने के “ठोस सबूतों” के आधार पर वानी की गिरफ़्तारी हुई है. उस अधिकारी ने कहा, “हमारे पास उसके खिलाफ पक्के सबूत हैं. लेकिन हम इस मामले में मानवीय आधार पर निर्णय लेंगे.”
मरयम उन हजारों अनाथ बच्चों में एक है जो 1990 के दशक से कश्मीर में लगातार चल रही हथियारबंद हिंसा के शिकार हुए हैं. आंकड़ों के मुताबिक, घाटी में उथल - पुथल मचने के बाद लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं.
वर्ष 2016 में हिज्ब कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से घाटी में सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच बेहद तीखी झडपें हुई हैं. इन झडपों में 150 से अधिक प्रदर्शनकारी नागरिक और 200 से अधिक आतंकवादी मारे जा चुके हैं. मारे गये लोगों में से अधिकांश स्थानीय युवा थे.