कुलगाम में सेना की तलाशी अभियान के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन
एक किशोरी समेत तीन लोग मारे गये
हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत की दूसरी बरसी से पहले, एक 16 – वर्षीया लड़की समेत तीन नागरिकों को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में प्रदर्शनकारियों के साथ एक झड़प के दौरान कथित रूप से सेना द्वारा मार दिया गया.
आधिकारिक सूत्रों एवं प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों एवं सेना की एक संयुक्त टीम ने इलाके में दहशतगर्दों के एक समूह के मौजूद होने की ठोस ख़ुफ़िया सूचना मिलने के बाद कुलगाम जिले में जमात – ए – इस्लामी का गढ़ माने जाने वाले रेडवानी गांव में घेरा डाला.
सूत्रों ने बताया, “ज्योंहि सुरक्षा बलों ने घर – घर जाकर तलाशी अभियान शुरू किया, सैकड़ों ग्रामवासी अपने – अपने घरों से निकल आये और तलाशी अभियान का विरोध करने लगे, जिसने आगे चलकर झड़प का रूप ले लिया. झड़प के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थरबाज़ी शुरू कर दी.”
हवरूना – मिश्पोरा, जहां सुरक्षा बलों का घेरा और तलाशी अभियान जारी था, के निवासियों ने आरोप लगाया कि सेना के जवानों ने कई घरों में घुसकर तोड़फोड़ करने के साथ – साथ लोगों के साथ मारपीट भी की. सूत्रों ने बताया, “उन्होंने कई घरों की खिडकियां और दरवाजे तोड़ डाले और दर्ज़नों युवकों को जबरन उठा लिया जिनमें से कई अभी भी उनकी हिरासत में हैं.”
सूत्रों का कहना है कि सेना की कार्रवाई ने स्थानीय निवासियों को विचलित कर दिया और दर्ज़नों युवकों ने सेना पर पत्थरबाज़ी शुरू कर दी. नतीजतन, इलाके में दोनों पक्षों के बेच तीखी झड़प चालू हो गयी. उन्होंने बताया, “सेना के जवानों ने प्रदर्शनकारियों पर सीधी फायरिंग शुरू कर दी जिसके कारण कम से कम एक दर्ज़न प्रदर्शनकारी घायल हो गये.”
अधिकारियों ने बताया कि सभी घायलों को एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया जहां तीन को मृत घोषित कर दिया गया. मृतकों की पहचान शाकिर अहमद (22 वर्ष), इरशाद मजीद (20 वर्ष) और अंदलीब (16 वर्ष) के रूप में की गयी. ये सभी रेडवानी इलाके के हवरूना गांव के निवासी थे.
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने बताया कि सभी घायलों के पेट और छाती में गोली लगी है. उन्होंने कहा, “एक अन्य घायल की हालात बेहद गंभीर है और उसे चिकित्सा के लिए श्रीनगर भेजा गया है.”
हिंसा की ताज़ा घटना कश्मीर घाटी, जहां श्रीनगर समेत कई इलाकों में बुरहान बानी की मौत की बरसी को देखते हुए पहले से ही कई बंदिशें लागू है, में तनाव की स्थिति को और बढ़ायेगी. हुर्रियत के सभी नेताओं को इस मौके पर किसी भी किस्म की रैली निकलने से रोकने के लिए या तो उनके घरों में नजरबन्द कर दिया गया है या फिर जेल भेज दिया गया है.