एनआरसी : असम में नागरिकता सूची से 40 लाख लोग बाहर
असम के मुख्मंत्री सर्वानन्द सोनोवाल हुए खुश
तमाम कयासों के बाद अब यह बात आधिकारिक रूप से सामने आ गयी है कि असम में वास्तविक भारतीय नागरिकों के पहचान के लिए बनाये गये चर्चित नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में से 40 लाख लोगों के नाम गायब हैं.
भारत के रजिस्ट्रार जनरल, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में एनआरसी को अद्यतन करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया, ने सोमवार को घोषणा की कि कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ ही योग्य पाये गये.
एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसम्बर 2017 को जारी किया गया था जिसमें 1.9 करोड़ नामों को शामिल किया गया था.
एनआरसी, जोकि असम राज्य के लिए अनूठा माना जाता है, को पहली बार 1951 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आये अवैध आप्रवासियों से भारतीय नागरिकों को अलग करने के लिए जारी किया गया था. अद्यतन की ताज़ा प्रक्रिया 2015 में शुरू हुई थी.
अद्यतन नये एनआरसी में उनलोगों या उनके वंशजों के नाम शामिल किये गये हैं जिनके नाम 1951 के एनआरसी में शामिल थे या 25 मार्च 1971 तक की मतदाता सूची में दर्ज थे या इसी तिथि की मध्य रात्रि तक के किसी अन्य मान्य दस्तावेजों, जिससे असम में उनकी उपस्थिति साबित होती हो, मे मौजूद थे.
हालांकि भारत के रजिस्ट्रार जनरल श्री शैलेश ने बताया कि जिन लोगों के नाम अंतिम मसौदे में नहीं हैं, उन्हें चिंतित होने की जरुरत नहीं है. उन्होंने ऐसे लोगों को पर्याप्त मौके देने की बात कही. उन्होंने कहा, “यह अंतिम सूची नहीं है. वे अपने दावों और सत्यापन के लिए आवेदन कर सकते हैं. अंतिम सूची आने में थोड़ा वक़्त लगेगा.”
अंतिम मसौदे में गायब नामों में विदेशी घोषित लोगों के परिवार के सदस्यों, चुनाव आयोग द्वारा संदिग्ध या डी - वोटर के तौर पर चिन्हित लोगों अथवा असम सीमा पुलिस द्वारा फोरेनर्स ट्रिब्यूनल के पास भेजे गये लोगों के नाम शामिल हैं.
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, असम में 90 हजार लोगों को विदेशी घोषित किया गया है. इसके अलावा, वहां 1.25 लाख डी – वोटर हैं. और 1.31 लाख मामले असम में फोरेनर्स ट्रिब्यूनल के सामने लंबित हैं.
असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल ने इसे एक ऐतिहासिक और यादगार दिन करार दिया.
श्री सोनोवाल ने कहा, “इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए एनआरसी की अद्यतन प्रक्रिया से जुड़े 55 हजार अधिकारियों और राज्य के बराक एवं ब्रह्मपुत्र घाटी, मैदानी तथा पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को तहेदिल से बधाई देता हूं. मुझे यकीन है कि एनआरसी, जोकि असम के व्यापक हितों की रक्षा के एक कारगर उपाय के रूप में सामने आया है, एक सकारात्मक माहौल पैदा करने में सक्षम होगा और वास्तविक भारतीय नागरिकों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को भी पूरा करने में कामयाब होगा.”
इस बीच, विधि और व्यवस्था के ख़राब होने की आशंकाओं के मद्देनजर राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है. राज्यभर में अर्द्ध – सैनिक बलों की 220 कम्पनियां तैनात कर दी गयी हैं.
राज्य के पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया ने बताया कि किसी भी अवांछित परिस्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा के सभी उपाय किये गये हैं.
राज्यभर में स्थापित 2,500 एनआरसी सेवा केन्द्रों में लोग ऑनलाइन या ऑफलाइन जाकर अपने नाम की जांच कर सकते हैं. आवेदक ताजा स्थिति जानने के लिए एसएमएस सेवा का भी सहारा ले सकते हैं.