मानसून ने बरपाया अरुणाचल में कहर
जान – माल का भारी नुकसान
देर से शुरू हुई मानसून की बारिश ने अरुणाचल प्रदेश में भारी तबाही मचा दी है. जबरदस्त बारिश के कारण नदियों के जलस्तर के खतरे के निशान को पार करने और भू – स्खलन होने से राज्य में कई लोगों के मरने और बड़े पैमाने पर संपत्ति के नुकसान की खबरें हैं.
शुरुआत में सूखे मानसून की वजह से वर्षा की मात्रा में 20 प्रतिशत की कमी रहने के बाद अब समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र में बारिश में तेजी आई है.
अबतक कम – से - कम तीन लोगों के मरने की पक्की सूचना है. लेकिन इस तादाद में बढ़ोतरी के आसार हैं.
अनाधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है और 50 से अधिक मकान तबाह हुए हैं.
हालांकि, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कम – से – कम 18 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गये हैं. जबकि मोदिरिजो इलाके में 37 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. उधर, राजधानी ईटानगर के डोन्यी – पोलो कालोनी में पांच मकान पूरी तरह और चार मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार की सुबह साढ़े चार बजे मोदिरिजो इलाके में एक ही परिवार के तीन सदस्य नदी की तेज धारा में बह गये.
मैरी बेयोंग नाम की महिला और उसकी 10 साल की बेटी, पुन्गपी, अभी भी लापता हैं. हालांकि, उसके तीन वर्षीय बेटे, कोजोम, की लाश को बचाव – दल के सदस्यों ने खोज निकाला.
इसी इलाके की एक अन्य महिला, यादी रिगिओ, को डूबने से तो बचा लिया गया, लेकिन बाद में उसकी मौत हो गयी. उसका पति, रिगिओ तुगुंग, अभी लापता है.
डोन्यी – पोलो कालोनी से दो लोगों, तारिंग यहा और राखे नाकू, को बचाया गया और एक अस्पताल में अभी उनका इलाज चल रहा है. एक 50 – वर्षीय बुजुर्ग, मोहन छेत्री, की भी मौत हो गयी और उनकी लाश राजधानी के निकट निर्जुली इलाके से बरामद हुई.
एक अन्य व्यक्ति की लाश भी कल बरामद हुई.
सड़क – यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कई वाहन नदी की उफनती बाढ़ में बह गये. नुकसान की गंभीरता इसलिए भी बढ़ गयी है कि राज्य की राजधानी में ट्रांस – अरुणाचल राजमार्ग का निर्माण महीनों से लटका पड़ा है.
यो तो खुदाई का काम पहले कराया जा चुका है, लेकिन चार – लेन वाले इस महत्वाकांक्षी राजमार्ग परियोजना के निर्माण में धीमी प्रगति से इससे जुड़ी सड़कें बारिश के दौरान कीचड़ में बुरी तरह सन गयी हैं.
उपायुक्त ने एक आदेश जारी कर खतरे वाले इलाके के लोगों को अपना मकान खाली कर सुरक्षित स्थानों पर या अस्थायी राहत शिविरों में जाने निर्देश दिया है.
आदेश में यह भी कहा गया है कि जो लोग जानबूझकर भू – स्खलन या नदी, झरने के किनारे वाले इलाकों में और पहाड़ियों पर रह रहे हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा करने को स्वतंत्र हैं. और वे भविष्य में किसी किस्म के मुआवजे के हक़दार नहीं होंगे. आदेश में चिन्हित किये गये खतरे वाले इलाकों और सुरक्षित शिविरों की सूची भी दी गयी है.
पश्चिमी सियांग जिले में, अधिकारी योम्गो नदी के जलस्तर पर नजदीकी नजर बनाये हुए हैं. इस नदी के खतरे के निशान से मात्र एक मीटर नीचे बहने की ख़बर है.
एक अतिथिगृह का एक हिस्सा पहले ही बह चुका है.
पूर्वी सियांग जिले में, सियांग नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि होने की वजह से बोरगुली, सेरम, नामसिंग और मेर नाम के गांवों में कटाव की ख़बरें हैं.
मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने प्रत्येक मृतक के आश्रितों को चार लाख रूपए देने एलान किया है.