लोकतंत्र को झटका : कश्मीर में नगर निगम चुनावों में लोगों की बेहद कम भागीदारी
इकाई अंक में ही सिमटा मतदान का प्रतिशत
नगर निगम के चुनावों के अंतिम चरण में राजधानी श्रीनगर में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं, जबकि कश्मीर घाटी में बंद एवं आतंकवादी हमले की आशंका के बीच मतदान का प्रतिशत इकाई अंक में ही सिमटा रहा.
हुर्रियत के हड़ताल के आह्वान पर घाटी में चुनाव वाले इलाकों में पूरी तरह बंद देखा गया. प्रशासन ने विधि – व्यवस्था में गड़बड़ी को रोकने के लिए हाई – स्पीड इंटरनेट सेवा को निलंबित कर दिया और अतिरिक्त संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की.
आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, दोपहर दो बजे तक श्रीनगर में सिर्फ तीन प्रतिशत पंजीकृत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि उसी अवधि में गंदरबल जिले में 9.2 प्रतिशत वोट डाले गये थे.
राज्य चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “पहले तीन चरणों के रुझानों के अनुरूप ही नगर निगम चुनावों का आखिरी चरण भी मतदाताओं में कोई उत्साह जगा पाने में असफल रहा.”
श्रीनगर के सोउरा इलाके में भारत – विरोधी एवं आजादी समर्थक नारों के बीच नाराज युवक सड़कों पर निकल आये और चुनावों के लिए तैनात सुरक्षा बलों के साथ उनकी लुकाछिपी की लड़ाई चली.
सूत्रों ने बताया, “सुरक्षा बलों ने आंसू – गैस के गोले छोड़े और प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया. किसी के घायल होने अथवा सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की अबतक कोई ख़बर नहीं है. हालांकि, इलाके में झड़पें जारी हैं.”
भारी सुरक्षा बंदोबस्त एवं दहशतगर्दों की धमकियों के बीच निगम चुनावों के चौथे एवं आखिरी चरण में शोपियां, अनंतनाग, पुलवामा, बारामूला, श्रीनगर एवं गंदरबल जिलों के आठ नगर – निगमों के लिए चुनाव हुए.
मुख्य चुनाव अधिकारी, शालीन काबरा, ने बताया, “आज होने वाले चुनाव में श्रीनगर एवं गंदरबल जिलों के 36 वार्डों के लिए कुल 131 उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि बाकी जिलों में या तो उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गये या फिर किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया.”
लोगों की बेहद कम भागीदारी एवं कश्मीर घाटी के दो मुख्य क्षेत्रीय दलों – नेशनल कांफ्रेंस एवं पीडीपी – के बहिष्कार की वजह से नगर निगम के चुनावों की विश्वसनीयता पर खासा असर पड़ा है.
नगर निगम चुनावों के पहले चरण में मतदान का प्रतिशत सिर्फ 8.3 प्रतिशत था, जो दूसरे चरण में और अधिक नीचे गिरकर 3.4 प्रतिशत तक जा पहुंचा. तीसरे चरण में भी महज 3.49 प्रतिशत वोट डाले गये. लोगों के रुझान को देखते हुए अधिकारियों को चुनाव के आखिरी चरण में भी मतदान के प्रतिशत के इकाई अंक में ही सिमटे रहने का अनुमान था.