प्रसिद्ध फिल्मकार अरिबम श्याम शर्मा का पद्मश्री लौटाने का एलान
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में उठाया कदम
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में विख्यात मणिपुरी फिल्मकार अरिबम श्याम शर्मा द्वारा पद्मश्री पुरस्कार लौटाने के निर्णय का पूर्वोत्तर क्षेत्र के फिल्म जगत से जुड़े लोगों ने समर्थन किया है.
पूर्वोत्तर क्षेत्र के फिल्म निर्देशकों ने कहा कि वे भी धार्मिक आधार पर नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करने वाले इस विधेयक का विरोध करते हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर और विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित फिल्मकार होबम पबन कुमार ने इसे दर्दनाक करार दिया.
श्री शर्मा पर एक वृतचित्र बना रहे पबन कुमार ने द सिटिज़न को बताया, “निश्चित रूप से, मैं उनके इस दृष्टिकोण का समर्थन करता हूं. मेरा मानना है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र का हर निवासी इसका समर्थन करेगा. हम लंबे समय से इस किस्म की परेशानियों से जूझते रहे हैं. यदि यह विधेयक देश के अन्य हिस्सों के लिए है, तो ठीक है. लेकिन पूर्वोत्तर भारत के लिए, यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है. यह उनका निजी फैसला है. मुझे लगता है कि अभी जो कुछ भी चल रहा है, उससे वे बेहद आहत हैं.
बीते रविवार को श्री शर्मा, जोकि इस क्षेत्र के सिनेमा जगत के जीवित किंवदंतियों में से एक हैं और 1982 में फ्रांस के तीन महाद्वीपों के महोत्सव के शीर्ष वार्षिक पुरस्कार, गोल्डन मॉन्टगॉल्फर, जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं, ने यह घोषणा की कि इस विधेयक के प्रति अपना विरोध दर्शाने के लिए वे अपना पद्मश्री सम्मान लौटाएंगे.
नागरिकता संशोधन विधेयक, जिसे पहले ही लोकसभा द्वारा पारित किया जा चुका है, का सभी पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापक विरोध हो रहा है और इसकी चौतरफा आलोचना हो रही है. इस क्षेत्र के विभिन्न समूह और संगठन धर्म के आधार पर नागरिकता देने के तर्क का समर्थन नहीं कर रहे हैं.
असम के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक दीप चौधरी ने उम्मीद जतायी है कि श्री शर्मा का त्याग व्यर्थ नहीं जायेगा.
बतौर एक उदीयमान निर्देशक फिल्म अलीफा के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार जीतने वाले और पूर्वोत्तर क्षेत्र के फिल्म निर्माताओं के फोरम के सचिव श्री चौधरी ने कहा "समाज के प्रति आजीवन योगदान के लिए दी गयी इस मान्यता को अस्वीकार करना यह एक कलाकार के लिए दुख की बात है ... लेकिन मातृभूमि के हित के लिए, ऐसा बार-बार किया जा सकता है. अरिबम श्याम शर्मा, आपको मेरा सलाम! मुझे उम्मीद है कि आपका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. ”
फिल्म शोधकर्ता पर्थाजित बरुआ ने कहा कि श्री शर्मा एक जमीनी और राजनीतिक तौर पर सजग फिल्मकार हैं.