जम्मू – कश्मीर के राज्यपाल ने “सुरक्षा चूक” को आत्मघाती हमले के लिए जिम्मेदार माना
उच्च सुरक्षा वाले इलाके में अर्द्धसैनिक बलों पर हमला
जम्मू – कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने वैलेंटाइन दिवस पर अशांत दक्षिण कश्मीर में केन्द्रीय रिज़र्व सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के लिए "सुरक्षा चूक" को जिम्मेदार ठहराया है. इस हमले में अर्धसैनिक बलों के कम से कम 43 जवानों के मारे गये और दर्जनों अन्य घायल हुए. यह हमला इस बात की तस्दीक करता है कि सुरक्षा बलों और सत्तारूढ़ दल के तमाम दावों के बावजूद कश्मीर में दहशतगर्दी अभी भी जिंदा है.
विभिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल मालिक ने कहा कि पिछले दो सप्ताह से इस बात की खुफिया जानकारी थी कि दहशतगर्द सुरक्षा बलों पर एक “बड़ा हमला” करने का मंसूबा बना रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हमने पिछले तीन - चार महीनों में कश्मीर में उग्रवाद की कमर तोड़ दी. हर दूसरे दिन दो से तीन आतंकवादी मारे गये. इससे आतंकवादियों की हताशा बढ़ गई थी और उनकी ओर से एक बड़ा हमला करने की जानकारी मिली थी. कुछ सुरक्षा चूक हुई हैं क्योंकि विस्फोटक से लदी एक कार को सीआरपीएफ के काफिले के साथ जाने की अनुमति दी गयी. हम इसकी जांच करेंगे.”
हालांकि, इस हमले ने समूचे सुरक्षा प्रतिष्ठान को दहला दिया है और इस तथ्य को भी रेखांकित किया है कि ‘नये ज़माने का उग्रवाद’, जोकि ‘आपरेशन आल – आउट’ के तहत सुरक्षा बलों द्वारा की गयी भीषण कार्रवाईयों की वजह से कश्मीर में अपने सबसे निचले बिन्दु पर पहुंच गया था, अभी भी बचा हुआ है और दहशतगर्द अपनी मनमर्जी से किसी भी समय और कहीं भी हमला कर सकते हैं.
अब जबकि जम्मू – कश्मीर पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है, घाटी में इस आत्मघाती हमले के बाद उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह एवं राज्यपाल मलिक के आज श्रीनगर पहुंचने की संभावना है. कश्मीर में तीन दशक पुराने दहशतगर्दी के इतिहास में यह दूसरा बड़ा आत्मघाती हमला था.
इस किस्म का पहला हमला सन 2000 में हुआ था जब ब्रिटेन में जन्मे और जैश से जुड़े एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदी एक कार को उच्च श्रेणी की घेराबंदी वाले श्रीनगर स्थित बादामी बाग छावनी, जोकि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सेना की 15वीं कॉर्प्स का मुख्यालय है, में घुसाने का प्रयास किया था. उस हमले में कम से कम पांच जवान और तीन आम नागरिक मारे गये थे.
जम्मू – कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “पुलवामा हमला यह दर्शाता है कि पिछले कुछ सालों में जबरदस्त झटके झेलने के बावजूद दहशतगर्दों के पास सुरक्षा बलों पर हमला करने लायक सांगठनिक क्षमता एवं मानव संसाधन बचे हुए थे. यह जांच का विषय है कि आखिर 350 किलोग्राम विस्फोटकों का इंतजाम और उन्हें कार बम के तौर पर रखना कैसे संभव हुआ.”
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो श्रीनगर – जम्मू राजमार्ग पर विस्फोट स्थल, जोकि अर्द्धसैनिक बलों के एक प्रशिक्षण केंद्र से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, पर फोरेंसिक जांच में जम्मू – कश्मीर पुलिस को “सह्योग” करेगा. उक्त प्रशिक्षण केंद्र पर पिछले साल जैश के एक फिदायीन हमले में पांच सैनिक मारे गये थे.