भाजपा और उसके मंत्री के अलग – अलग सुर !
नागरिकता विधेयक पर गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू का पार्टी से अलग राग
विवादास्पद नगरिक्ता संशोधन विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी हो रहे जबरदस्त विरोध से बेपरवाह भारतीय जनता (भाजपा) ने कहा है कि केंद्र की सत्ता में दोबारा वापस आने पर वह इस दिशा में एक बार फिर से आगे बढ़ेगी.
इस विधयेक को पारित कराने के वादे के साथ पार्टी ने सोमवार को लोक सभा चुनावों के लिए अपना घोषणा – पत्र जारी किया.
नगरिक्ता संशोधन विधेयक को इसी साल कुछ महीने पहले लोकसभा में पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा में, इसे सदन के पटल पर रखने के पहले ही सत्रावसान हो गया.
पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया है कि वह "उत्पीड़न से बचकर आने वाले पड़ोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की सुरक्षा के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है".
पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों द्वारा इस विधेयक के बारे में उठायी गई चिंताओं को संबोधित करते हुए, भाजपा के घोषणा पत्र में कहा गया है कि पार्टी “उत्तर-पूर्वी राज्यों के विभिन्न समुदायों द्वारा इस कानून को लेकर जाहिर की गयी आशंकाओं को निर्मूल साबित करने का सभी प्रयास करेगी ”
इसमें यह भी कहा गया है कि भाजपा “पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक एवं सामाजिक पहचान को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध” है.
नागरिकता संशोधन विधेयक में उल्लेखित "भारत के पड़ोसी देशों से उत्पीड़न से बचकर आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध और सिखों को भारत की नागरिकता प्रदान करने" संबंधी प्रावधान को इस घोषणा – पत्र में अद्यतन करते हुए अब ईसाईयों को भी इस सूची में शामिल करने का वादा किया गया है.
उधर हाल में, अरुणाचल पश्चिम के भाजपा सांसद एवं केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने पत्रकारों को बताया कि इस विधेयक के पारित होने और देश के बाकी हिस्सों में एक कानून के तौर पर लागू होने पर भी इसे पूर्वोत्तर क्षेत्र में लागू नहीं किया जायेगा.
पूर्वोत्तर क्षेत्र के जनजातीय बहुल राज्यों को प्राप्त संवैधानिक सुरक्षा के संदर्भ में उन्होंने कहा, “लोगों को सही तरीके से नहीं समझाये जाने की वजह से इस विधेयक को लेकर यहां गलतफहमियां हैं. लेकिन मैं यह साफ़ कर देना चाहता हूं कि देशभर में नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू किये जाने पर भी अरुणाचल प्रदेश एवं अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को प्राप्त संरक्षित क्षेत्र के दर्जे में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा और उनका यह दर्जा अक्षुण्ण रहेगा.”
एक अन्य साक्षात्कार में, श्री रिजीजू ने इस बात को दोहराते हुए कहा कि इस विधेयक के पारित होने और देश के अन्य भागों में लागू होने भी अरुणाचल प्रदेश के हितों पर कोई आंच नहीं आने दी जायेगी.
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं अरुणाचल प्रदेश के लिए अलग से एक धारा का प्रावधान करने की जरुरत नहीं है क्योकि ये इलाके पहले से ही बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन के तहत संरक्षित हैं. इस रेगुलेशन के प्रावधानों के मुताबिक, प्रतिबंधित जनजातीय क्षेत्रों में प्रवेश के लिए अन्य राज्य के नागरिकों को इनर लाइन परमिट लेनी होती है.
भाजपा के तमाम आश्वासनों के बावजूद, पूर्वोत्तर क्षेत्र के सात राज्यों के छात्र संगठनों के परिसंघ – नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गेनाईजेशन (एनईएसओ) भाजपा की इस घोषणा से परेशान व खिन्न है.
एनईएसओ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य सभा में इस विधेयक को पारित कराने के भारत सरकार के कदम के खिलाफ पूर्वोत्तर क्षेत्र हाल के महीनों में बुरी तरह उद्वेलित था.
बयान में आगे कहा गया है कि इस विधेयक को पारित करने की सरकार की प्रतिबद्धता "स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि पूर्वोत्तर के देशी समुदायों के कल्याण के लिए उसके जेहन में कोई जगह नहीं है, बल्कि उसका यह कदम हमें अपनी ही भूमि पर अल्पसंख्यक बनाकर रख देगा".
उसमें यह भी कहा गया है कि एनईएसओ “लोगों को धार्मिक आधार पर विभाजित कर नहीं देखता” और “एक विदेशी सिर्फ एक विदेशी है, चाहे वह मुसलमान हो या हिन्दू”.
बयान में आगे जोड़ा गया है कि “एनईएसओ यह एक स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि वह किसी को भी हमारी भावी पीढ़ी को जोखिम में डालने की अनुमति नहीं देगा और हमारा आंदोलन जारी है और यह लोगों के उत्थान, सुरक्षा, आंतरिक एवं बाहरी, दोनों किस्म के आक्रमणों से सुरक्षा के लिए जारी रहेगा.”