बीते 6 मई को हुए मतदान में दक्षिण कश्मीर के अवंतिपोरा स्थित मुख्य मतदान केंद्र पर दोपहर बाद तक सिर्फ एक वोट डाला गया. अवंतिपोरा, उस स्कूल हेडमास्टर रिजवान पंडित का गृह शहर है जिनकी हाल ही में पुलिस हिरासत में मौत हो गयी थी.

अवंतिपोरा में सात मतदान केंद्र बनाये गये थे. इन मतदान केन्द्रों पर कुल 3,750 पंजीकृत मतदाताओं द्वारा वोट डाले जाने की उम्मीद थी.

मतदान केंद्र संख्या 69, 71, 72, 73, 103 और 104 पर क्रमशः 761, 816, 729, 945, 610 और 650 वोट हैं. लेकिन दोपहर 1:30 बजे तक सिर्फ एक वोट मतदान केंद्र संख्या 73 पर डाला गया था.

मतदाताओं की अरुचि से निराश अधिकांश पोलिंग एजेंट मतदान केंद्र से चले गये.

सरकारी सुरक्षा बलों के जवानों, मतदानकर्मियों और विभिन्न पार्टियों के पोलिंग एजेंट के अलावा कंक्रीट की इमारत वाले इस स्कूल के आसपास और कोई नजर नहीं आ रहा था.

अवंतिपोरा की ओर जाने वाली मुख्य सड़कें और गलियां सुनसान थीं.

रिजवान की “हिरासत में हुई हत्या” के खिलाफ शहर में भारी नाराजगी थी.

एक दुकान के बाहर आपसी बातचीत में मशगूल युवाओं एवं बुजुर्गों के एक समूह ने कहा, “हमें वोट डालने वाले व्यक्ति के बारे में पता है. वह एक राजनीतिक दल का पार्षद था. लेकिन हम वोट डालने नहीं जा रहे. उन्होंने रिजवान साहब को बर्बरतापूर्वक मारा.”

पुलवामा जिले के एक अन्य महत्वपूर्ण इलाके, ख्रिव, में नजारा थोड़ा अलग था.

ख्रिव, अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार और न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) हसनैन मसूदी का गृह शहर है. इस इलाके में उनका थोड़ा प्रभाव है.

ख्रिव के बॉयज हायर सेकण्ड्री स्कूल में सात मतदान केंद्र बनाये गये थे, जहां सुबह के 11 बजे तक 650 वोट डाले जा चुके थे. इन मतदान केन्द्रों पर कुल 4000 पंजीकृत मतदाता हैं.

ख्रिव की एक महिला मतदाता ने बताया, “मेरे पति शारीरिक दृष्टि से अशक्त हैं. पिछली सरकार ने मुझे नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन मुझे नौकरी नहीं मिली. मेरी एकमात्र उम्मीद मसूदी साहब पर विश्वास जताना है. मैं पूरी कोशिश करूंगी. लेकिन मुझे नौकरी मिल ही जायेगी, इसे लेकर मैं आश्वस्त नहीं हूं.”

पीडीपी और कांग्रेस पार्टी के पोलिंग एजेंटों ने मसूदी समर्थकों पर मोबाइल फ़ोन छिनने का आरोप लगाया. उन्होंने ख्रिव में पुनर्मतदान की मांग की.

पड़ोस के शर इलाके में कुल 3,574 पंजीकृत मतदाता हैं. इनमें से कम से कम 180 लोगों ने सुबह 10 बजे तक अपने वोट डाल दिये थे.

कुल मिलाकर, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और शोपियां जिलों के सभी प्रमुख इलाकों में मतदान का प्रतिशत दयनीय रहा.

पुलवामा और शोपियां में कुल 5.22 लाख से अधिक मतदाता है. दहशतगर्दी का केंद्र माने जाने वाले पुलवामा विधानसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत मात्र 0.76 रहा.

जम्मू – कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी शैलेन्द्र कुमार के मुताबिक, पुलवामा और शोपियां जिलों में कुल 695 मतदान केंद्र बनाये गये थे.

अनंतनाग संसदीय क्षेत्र, जिसके तहत चार जिलों – कुलगाम, अनंतनाग, शोपियां और पुलवामा – में फैले 16 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, में तीन चरणों में चुनाव हुए. यहां मतदान की शुरुआत 23 अप्रैल को हुई थी. तीसरे और आखिरी चरण का मतदान 6 मई को खत्म हुआ.

पुलवामा जिले के करीमाबाद, काकापोरा, ताहब, नेवा और पुलवामा शहर में अधिकांश मतदान केंद्र सुनसान रहे.

पुलवामा और शोपियां जिलों में मतदान का प्रतिशत क्रमशः 1.9 और 2.6 प्रतिशत रहा. तीसरे चरण के मतदान का प्रतिशत 2.3 रहा.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के युवा इकाई के अध्यक्ष वहीदुर्रह्मान पर्रा ने पुलवामा में एक बातचीत के दौरान बताया कि “हिंदू राष्ट्रवादी माने जाने वाली भाजपा के पास कश्मीर को लेकर एक सभ्यतावादी नजरिया है और उसने कश्मीर के लोगों को हर तरह से बेदखल करने के एक मिशन पर काम किया है.”

उन्होंने कहा कि भाजपा ने “कश्मीरियों को दंडित करने के लिए एनआईए, ईडी, आईटी जैसी संस्थाओं और यहां तक कि चुनावी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया है.”

कुल मिलाकर, 23 अप्रैल को अनंतनाग में 12 प्रतिशत मतदान हुआ, कुलगाम में 29 अप्रैल को 10 प्रतिशत और शोपियां और पुलवामा में 6 मई को सिर्फ 2.3 प्रतिशत मतदान हुआ. इसका अर्थ यह हुआ कि अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में औसतन 8 फीसदी मतदान रहा.

श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत 13 प्रतिशत से थोड़ा अधिक रहा.