अरुणाचल प्रदेश में विधायक और उसके बेटे की हत्या
तिरोंग अबोह को तिरप जिले में विस्फोट में उड़ा दिया गया
पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में संदिग्ध हथियारबंद आतंकवादियों ने कथित रूप से हमला कर खोंसा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक तिरोंग अबोह और उनके बेटे की हत्या कर दी.
श्री अबोह को कथित रूप से हथियारबंद लोगों द्वारा खोंसा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बोर्दुरिया और हुकन्जुरी चेक गेट के बीच बोगापनी में विस्फोट कर उड़ा दिया गया. शुरुआती खबरों में इस हिंसक वारदात की चपेट में कुल सात लोगों के आने की बात कही गयी थी. हालांकि, जिले के उपायुक्त पी एन थुंगन ने इस वारदात में विधायक और उनके किशोर पुत्र समेत कुल 11 लोगों के शिकार होने की पुष्टि की.
खबरों के मुताबिक, असम के डिब्रूगढ से खोंसा लौटते समय श्री अबोह के काफिले पर सुबह साढ़े 11 बजे घात लगाकर हमला किया गया.
श्री अबोह 2014 में क्षेत्रीय पीपुल्स पार्टी ऑफ़ अरुणाचल की टिकट पर खोंसा पश्चिम सीट से विजयी हुए थे और इस बार भी नेशनल पीपुल्स पार्टी की टिकट पर इस सीट से उनके दोबारा जीतने की पुरजोर संभावना थी.
अब तक किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. इस घटना के पीछे नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड (एनएससीएन) के एक गुट का हाथ होने का संदेह व्यक्त किया जा रहा है. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है.
राज्य के तिरप, चांगलंग और लोंग्डिंग जैसे पूर्वी जिलों में मुख्य रूप से नोक्टे, टंग्सा और वांचो जनजाति के लोग निवास करते हैं. दशकों से यह जिला नगा उग्रवाद से भी प्रभावित रहा है. एनएससीएन (आईएम) समेत इस इलाके में भूमिगत रूप से सक्रिय विभिन्न संगठनों के साथ आए दिन भारतीय सुरक्षा बलों की झड़पें होती रहती हैं. देश के सबसे पुराने अलगाववादी आंदोलन को ख़त्म करने के उद्देश्य से एनएससीएन (आईएम) की भारत सरकार के साथ वार्ता हुई थी.
यो तो इन तीन जिलों में एनएससीएन के लगभग सभी गुट सक्रिय हैं, लेकिन इस इलाके में कथित रूप से खपलांग गुट का दबदबा माना जाता है.
श्री अबोह की हत्या अरुणाचल पश्चिम संसदीय सीट के पूर्व सांसद वांगचा राजकुमार की हत्या की याद दिलाती है. तिरप के देवमाली मल्टीपर्पस कम्युनिटी हॉल में 23 दिसंबर 2007 को बैडमिंटन खेलते समय एनएससीएन (आईएम) के लोगों ने श्री राजकुमार को मार डाला था.
यह अरुणाचल प्रदेश की पहली राजनीतिक हत्या थी. राज्य में स्थानीय रूप से पनपा उग्रवाद भले ही न हो, पर यहां के घने जंगलों में नागालैंड, असम और हाल दिनों में मणिपुर तक के हथियारबंद उग्रवादी पनाह लेते हैं.
राजकुमार पर हमले ने राज्य की राजनीति में एनएससीएन के आगमन की प्रभावी रूप से घोषणा की. यो तो राज्य में पिछले कुछ समय से सशस्त्र समूहों द्वारा प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ियों की हत्या नहीं की गई है, लेकिन इस साल लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने की वजह से इन तीन जिलों में नगा सशस्त्र समूहों की हरकतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
पिछले महीने मतदान के पहले चरण के दौरान लोंग्डिंग जिले के जिला परिषद सदस्य सेलम वांगसा, जो पोंचाचा-वक्का विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार कर रहे थे, को निशाना बनाया गया. इससे पहले, दो एनपीपी कार्यकर्ताओं पर कथित रूप से तिरप जिले में एनएससीएन के लोगों द्वारा हमला किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ितों में से एक की मौत हो गई थी.
मतदान के दिन, लोंडिंग-पुमाओ के विधायक और एनपीपी के उम्मीदवार थंगवांग वांगम कथित रूप से एक 'गलतफहमी' की वजह से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थकों के बीच हुई हाथापाई की एक घटना में घिर गये थे.
इससे पहले, वांगम ने यह आरोप लगाया था कि एनएससीएन (के) ने उनकी पार्टी के दो कार्यकर्ताओं का अपहरण कर लिया है.
इस बीच, मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने ट्विटर पर श्री अबोह और उनके पुत्र की हत्या की निंदा करते हुए उसे एक "बर्बर कृत्य" करार दिया और "अपराधियों की धड़पकड़" के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का वादा किया.
एनपीपी के मुखिया कोनराड संगमा ने भी इस हमले की निंदा की और केंद्र से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की.