सांप्रदायिक दुष्प्रचार को झुठलाते कश्मीर से निकले आंकड़े
कश्मीर में दो महीने में 18 मुसलमान सुरक्षाकर्मी मारे गये
एक ऐसे समय में जब दक्षिणपंथी ‘राष्ट्रवादी’ समूहों द्वारा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है और उनकी ‘देशभक्ति’ पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं, देश के विभिन्न सुरक्षा बलों के लिए कार्य करते हुए जम्मू एवं कश्मीर के कम – से – कम 18 मुसलमानों ने इस वर्ष उग्रवाद से जुड़ी हिंसा में अपनी जान गवां दी.
द सिटिज़न द्वारा विश्लेषित आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मरनेवालों में सीआरपीएफ के लिए काम करने वाले जम्मू एवं कश्मीर के दो मुसलमान शामिल थे जिनकी मौत दक्षिण कश्मीर के लेथपोरा स्थित सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र पर नववर्ष की पूर्व संध्या पर एक उग्रवादी हमले में हुई थी. उक्त हमले में दो उग्रवादी और सीआरपीएफ के तीन अन्य कर्मी भी मारे गए थे.
लेथपोरा हमले की आंच अभी मद्धिम भी नहीं पड़ी थी कि 6 जनवरी को उत्तरी कश्मीर के सोपोर शहर के एक बाज़ार में हुई बारूदी सुरंग के विस्फोट में पेट्रोलिंग ड्यूटी कर रहे चार मुसलमान पुलिसकर्मी मारे गये. वर्ष 2015 के बाद से कश्मीर में बारूदी सुरंग विस्फोट की यह पहली घटना थी.
इस घटना के बाद सुन्ज्वान सैन्य शिविर पर हमला हुआ. यह हमला जम्मू के पठानकोट आतंकवादी हमले के बाद सबसे भीषण था. इस हमले में पांच सैन्यकर्मी और एक नागरिक मारे गये. सभी मृतक कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों से आने वाले मुसलमान थे. मारे गये नागरिक सैन्य शिविर में कार्यरत एक जवान के पिता थे.
दो मुसलमान पुलिसकर्मी उस वक़्त मारे गए जब पिछले महीने श्रीनगर स्थित एसएमएचएस अस्पताल के बाहर संदिग्ध आतंकवादियों ने एक पुलिस पार्टी पर घात लगाकर हमला किया. लश्कर – ए – तोइबा का एक शीर्षस्थ कमांडर, नवीद जट, जिसे इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था, इस गोलीबारी के दौरान पुलिस की हिरासत से निकल भागने में कामयाब हो गया.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “मृतकों में आठ पुलिसकर्मी, छह सेना के जवान, सीआरपीएफ के दो कर्मी और एक आम नागरिक शामिल है जिसकी हत्या सुन्ज्वान सैन्य शिविर पर हमले के दौरान उग्रवादियों ने कर दी थी. ये सभी मृतक मुसलमान थे. पिछले दो महीनों में पूरे राज्य में उग्रवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के दौरान कम – से – कम 23 उग्रवादी भी मारे गये हैं.”
कश्मीर घाटी में उग्रवादियों के हमले का कहर सबसे ज्यादा जम्मू – कश्मीर पुलिस, जिसमें अधिकांशतः मुसलमान पुरुष शामिल होते हैं, पर टूटा है. पिछले वर्ष, एक अफसर समेत छह मुसलमान पुलिसकर्मियों की जान चली गयी थी जब संदिग्ध आतंकवादियों ने दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले के बाहरी इलाके में 16 जून को एक पुलिस पार्टी को निशाना बनाते हुए हमला किया था.
हाल में समाप्त हुए बजट सत्र के दौरान जम्मू – कश्मीर सरकार द्वारा विधानसभा के पटल पर रखी गयी सूचना के मुताबिक, पिछले दो वर्षों के दौरान राज्य में उग्रवाद से प्रभावित घटनाओं में कम – से – कम 49 पुलिसकर्मी मारे गये. इसमें से ज्यादातर कश्मीर घाटी के मुसलमान थे.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “ जम्मू – कश्मीर में उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में जम्मू – कश्मीर पुलिस, जोकि एक मुसलमान – बहुल सुरक्षा बल है, ने अग्रणी भूमिका निभायी है. पिछले तीन दशकों की अराजकता के दौरान हमारे हजारों लड़कों ने देश को बचाने के लिए अपने जान की कुर्बानी दी है.”