और अब गौ – मूत्र को “स्वास्थ्यवर्धक पेय” के रूप में बेचेगी यू.पी. सरकार
और अब गौ – मूत्र को “स्वास्थ्यवर्धक पेय” के रूप में बेचेगी यू.पी. सरकार
हम भारतवासियों का जीवन वाकई गाय से प्रभावित है. मुझे पता है कि हिन्दू धर्म के अनुसार यह एक बेहद पवित्र पशु है जो हमें दूध देती है और सम्मान की पात्र है. लेकिन हर लिहाज से, क्या हम इस पशु से अपने लगाव को कुछ ज्यादा ही तवज्जो नहीं दे रहे? गाय को मुद्दा बनाकर बर्बर हत्याओं की बढ़ती घटनाओं से लेकर आधिकारिक रूप से गौ – कल्याण मंत्रालयों के गठन और गौ – रक्षक पुलिस चौकियों की स्थापना और अब एक सरकारी बैनर तले स्वास्थ्यवर्धक पेय के तौर पर सीलबंद गौ - मूत्र बेचने तक!
ऊपर लिखी बातों को आपने बिल्कुल सही पढ़ा है. अब जबकि देश में गाय से जुड़ी बाकी बातें गंभीर किस्म की है और उन्हें अन्य लेखक और लेख के लिए छोड़ देना बेहतर होगा, मैं आपका ध्यान उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रस्ताव की ओर दिलाना चाहूंगा जिसमें गौ – मूत्र को एकत्र करने और उसे प्रसंस्कृत कर सीलबंद बोतलों में बंदकर “स्वास्थ्य बढ़ाने वाला पेय” के रूप में बेचने की बात कही गयी है.
इन बोतलों को उत्तर प्रदेश के उन सरकारी आयुर्वेदिक फार्मेसियों में तैयार किया जायेगा, जो राज्य भर में सरकारी केन्द्रों पर आयुर्वेदिक दवाओं की आपूर्ति करते हैं.
दरअसल, सरकार गौ – मूत्र को लोगों के रोजमर्रा के खान – पान का हिस्सा बनाना चाहती है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया से एक बातचीत में पीलीभीत स्थित सरकारी आयुर्वेद कालेज एवं अस्पताल के प्राचार्य एवं अधीक्षक डॉ प्रकाश चन्द्र सक्सेना ने बताया, “न सिर्फ चिकित्सा की दृष्टि से बल्कि गौ – मूत्र को हम “स्वास्थ्य बढ़ाने वाला पेय” के रूप में प्रोत्साहित करना चाहते हैं. हमलोगों ने इस संबंध में एक योजना बनायी है और इस पर स्वीकृति के लिए लखनऊ स्थित आयुर्वेद विभाग में चर्चा की जायेगी. रोजाना 10 – 20 मिली गौ – मूत्र पीने से बुखार एवं कफ़ जैसी मौसमी बीमारियों और पेट संबंधी समस्याओं से बचाव हो सकेगा. गौ – मूत्र के रोजाना सेवन से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. हमारा लक्ष्य गौ – मूत्र को आम जनता के लिए सुलभ कराना है.”
इतनी बड़ी मात्रा में गौ – मूत्र की उपलब्धता को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में डॉ सक्सेना ने खुलासा किया कि सरकार द्वारा संचालित विभिन्न गौशालाएं इस परियोजना का हिस्सा बनेगीं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया को डॉ सक्सेना ने बताया, “हमलोग सरकार व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित डेयरियों और गौशालाओं से संपर्क करने का विचार कर रहे हैं. इस परियोजना का विस्तृत विवरण तैयार करने के लिए हम जल्द ही विशेषज्ञों और आयुर्वेद विभाग के निदेशक से विचार – विमर्श करेंगे.”
उत्तर प्रदेश को गायों के लिए सुरक्षित शरण –स्थली से पाट देने की एक महत्वाकांक्षी योजना के पहले चरण के रूप में अपने पहले वित्तीय वर्ष में योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के सात जिलों और 16 शहरी केन्द्रों में 1000 की क्षमता वाले गौशालाओं के निर्माण की स्वीकृति दे दी है.
एक पेय के रूप में गौ – मूत्र के अलावा, संभवतः गोबर के इस्तेमाल से तैयार चमत्कारिक रूप से स्वास्थ्य बढ़ाने वाले पदार्थों को भी उतारने की योजना है. फ़ार्मेसी के इंचार्ज डॉ नरेश चन्द्र गंगवार ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “ राज्य सरकार द्वारा आर्डर दे दिया गया है और हम इसी महीने गौ – मूत्र के इस्तेमाल से तैयार दवाएं बनाना शुरू करेंगे. इन दवाओं का उपयोग बुखार, पीलिया, बवासीर और पेट एवं लीवर से संबंधित समस्याओं समेत विभिन्न रोगों के निवारण में किया जायेगा. विभिन्न अनुसंधानों ने यह दर्शाया है कि गौ – मूत्र, जोकि आयुर्वेद का एक अभिन्न हिस्सा है, का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है.”
बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जोड़ा, “ बाद के चरण में, हम कैंसर और चर्मरोग समेत अन्य बीमारियों के लिए गौ – मूत्र के इस्तेमाल से तैयार दवाएं बनाने के बारे में सोच सकते हैं. चूंकि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड – इफ़ेक्ट नहीं होता, इसलिए देश में इन दवाओं की मांग बढ़ रही है.”
एक स्वास्थ्यवर्धक पेय के तौर पर गौ - मूत्र बेचने का यह कदम वर्ष 2017 में सरकार द्वारा स्वास्थ्य की दृष्टि से गौ – मूत्र के लाभ के बारे में एक “वैज्ञानिक अनुसंधान” के लिए एक पैनल के गठन के बाद आया है. उक्त पैनल को एसवीआरओपी (साइंटिफिक वेलिडेशन एंड रिसर्च ऑन पंचगव्य) के नाम से जाना जाता है.
भारत में गायों के प्रति बढ़ते लगाव को देखते हुए गौ – मूत्र के प्रति लगाव का एक मतलब है. खासकर गाय को मुद्दा बनाकर की जानेवाली बर्बर हत्याओं के मुकाबले इसे कहीं बेहतर विकल्प माना जाना चाहिए. लेकिन क्या गौ – मूत्र वाकई स्वास्थ्य के लिहाज से सही है?
इस बारे में ठोस अनुसंधान बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध है. और जहां कहीं भी ऐसे अनुसंधान मौजूद हैं, उसके परिणाम खासी चिंता में डालने वाले हैं. वर्ष 1975 में चूहों पर किये गये एक अनुसंधान में यह पाया गया कि जर्सी गाय का मूत्र ज्यादा मात्रा में पिलाने के बाद चूहों की मौत हो गयी. वर्ष 1976 में कुत्तों पर किये गये इसी प्रकार के एक अनुसंधान में यह पाया गया कि जर्सी गाय के मूत्र का मिश्रण, जैसाकि नाइजीरियाई देशी दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है, बार – बार पिलाने से कुत्ते हाइपोटेंशन और मौत के शिकार हो गये.
निश्चित रूप से, विभिन्न भारतीय “अध्ययनों” में गौ – मूत्र के लाभों के बारे में बताया गया है. लेकिन निकट से देखने पर इस बात का खुलासा होता है कि ये प्रमाण शुद्ध रूप से सुनी – सुनायी बातों पर आधारित है और वैज्ञानिक तथ्यों से मेल नहीं खाते.