संघ समर्थकों के चहेते बने पूर्व राष्ट्रपति ; आज शाम संघ की एक बैठक को करेंगे संबोधित
फेसबुक पर संघ की वर्दी में दिखे प्रणब मुख़र्जी !
देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर स्थित मुख्यालय जाने को लेकर खासी हलचल है. आरएसएस के समर्थकों द्वारा चलाये जा रहे फेसबुक पेजों को अगर हम संकेत माने, तो पूर्व राष्ट्रपति श्री मुख़र्जी के नागपुर जाने के खिलाफ कांग्रेस खेमे में उपजी उत्तेजना शायद संघ खेमे में फैले उत्साह से मेल खाती है.
नीचे दिखाये गये एक फेसबुक पेज पर सावधानीपूर्वक लिखा गया, “इस अनाधिकारिक पेज को इसलिए बनाया गया क्योंकि फेसबुक पर मौजूद लोगों ने इस स्थान या गतिविधि में रूचि दिखाई है. इसका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या उससे जुड़े किसी व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है.” 7 जून, 2018 को शाम सात बजे संघ के नये – पुराने स्वयंसेवकों को संबोधित करने के लिए लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष एवं समाजवादी भारत के पूर्व राष्ट्रपति के नागपुर पहुंचने से पहले ही इस पेज ने उन्हें अपनाना शुरू कर दिया.
इस फेसबुक पेज का जुड़ाव संघ की आधिकारिक साइट से है और इसके पोस्टों में संघ एवं इसके रुख की जमकर प्रशंसा की गयी है. इसके ताजा पोस्टों में प्रणब मुख़र्जी का काफी सम्मान किया जा रहा है. इस पेज पर संघ के समर्थकों द्वारा उन्हें संघ की नई (पतलून वाली) वर्दी में प्रचारक की शैली में सलामी लेते हुए दिखाया गया है.
यह अजीब विडम्बना है कि श्री मुख़र्जी के संघ के मुख्यालय दौरे का विरोध करने और मणिशंकर अय्यर के पाकिस्तान दौरे का समर्थन करने के लिए कांग्रेस की आलोचना करने वाला एक पोस्ट इन दोनों (संघ और कांग्रेस) के बीच एक समीकरण बना रहा है.
आठ लाख से अधिक लाइक के साथ मौजूद एक अन्य फेसबुक पेज अपने अस्तित्व का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रशंसकों को देता है. यह अपेक्षाकृत सौम्य है.
यह पेज मूल रूप से श्री मुख़र्जी द्वारा संघ को गले लगाने और इसकी वजह से, संघ की भाषा में कहे जाने वाले सिकुलरों और प्रेस्टीच्यूटों (मीडिया के लोगों के लिए संघ समर्थकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द) में फैली ईर्ष्या पर प्रसन्नता जाहिर करता है.
इनके जैसे और अन्य संबंधित दूसरे पेज शायद इस दौरे के भाषण और परिणामों को प्रतिबिंबित करेंगे. ऊपर की तस्वीर में संघ का एक कार्यकर्ता श्री मुख़र्जी की आगवानी करता दिखाई दे रहा है. ये भारत के वही पूर्व राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने इस यात्रा को रद्द करने और राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद की गरिमा को बचाने के अपने पैतृक राजनीतिक संगठन कांग्रेस और अपनी बिटिया के अनुरोध को ठुकरा दिया.