“गौ – रक्षकों” की भीड़ ने ली अब अकबर खान की जान
सुप्रीम कोर्ट की चिंताओं को धता बताया अलवर में भीड़ ने
अलवर जिला, जहां राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य का पहला गौ – रक्षा पुलिस थाना स्थापित किया था, भीड़ द्वारा पीट – पीटकर मार डालने की एक और घटना का गवाह बना. इस बार, ऐसी बर्बरता का शिकार बना हरियाणा का 28 वर्षीय मेव मुसलमान अकबर खान.
यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब सर्वोच्च न्यायालय ने भीड़ द्वारा पीट – पीटकर मार डालने के चलन पर गहरी चिंता व्यक्त की है और भीड़ – तंत्र की प्रवृति को लताड़ते हुए इस संबंध में उचित कानून बनाये जाने पर जोर दिया है. शुक्रवार की रात को जब अकबर खान और उसका एक साथी दो गायों को लेकर एक जंगल भरे इलाके से गुजरते हुए अपने गांव लौट रहे थे, तभी एक भीड़ द्वारा उनपर हमला बोल दिया गया. भीड़ ने अकबर को पीट – पीटकर मार डाला, जबकि उसका साथी निकल भागने में कामयाब हो गया.
एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत एक मामला दर्ज कर लिया गया है. हालांकि एक ऐसे माहौल में, जहां आम तौर पर इस किस्म के अपराध के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता और अगर गिरफ्तार कर भी लिया गया तो जमानत दे दी जाती है और भाजपा के मंत्रियों एवं नेताओं द्वारा उन्हें माला पहनाया जाता है, न्याय पाने की उम्मीद कम ही है.
यह घटना गौ – रक्षकों की एक भीड़ द्वारा पहलू खान को पीट - पीटकर मार दिए जाने के एक साल बाद हुई है. उस घटना में पहलू खान के परिवार के अन्य सदस्य बुरी तरह घायल हुए थे. पहलू खान पर हमला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – 8 पर किया गया था. उस घटना में राजस्थान पुलिस ने दोषियों को गिरफ्तार करने के बजाय पहलू खान और उनके साथ के अन्य लोगों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया था.
गौ – रक्षा पुलिस थाना से लैस अलवर इस किस्म के हमलों का केंद्र सा बन गया है. पिछले साल नवम्बर में इसी जिले में उमर खान को रेल की पटरियों के निकट मृत पाया गया था. उनके परिजनों का कहना था कि उन्हें गौ – रक्षकों की एक भीड़ द्वारा मार डाला गया. लेकिन इस मामले में अबतक कुछ भी सामने नहीं आ पाया है.
शुक्रवार की रात को हुए हमले के विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा की जा रही है. अकबर खान हरियाणा के मेवात इलाके का निवासी था और उसका ताल्लुक मेव मुसलमान समुदाय से था, जो इन गौ – रक्षकों की भीड़ के निशाने पर है. खबरों के मुताबिक इस समुदाय के लोग शवगृह पर एकत्रित होकर अकबर का शव उस समय तक लेने से इंकार कर रहे हैं जबतक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता. उनका कहना है कि इस किस्म की पिछली घटनाओं के दोषियों को न तो गिरफ्तार किया गया है और न ही उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.