मॉब लिंचिंग के खिलाफ गुजरात में सड़कों पर उतरे लोग
नारों और गीतों के माध्यम से लोगों ने जताया रोष
कभी गाय के नाम पर तो कभी बच्चा – चोर के शक में भीड़ द्वारा पीट – पीटकर मार डालने की बढ़ती घटनाओं के विरोध में देशभर में सुगबुगाहट तेज होती जा रही है. केंद्र और देश के विभिन्न राज्यों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं द्वारा इस किस्म की हिंसक भीड़ का नेतृत्व करने वालों की हौसलाअफजाई भले ही माला पहनाकर की जा रही हो, लेकिन ‘हिंदुत्व की प्रयोगशाला’ माने जाने वाले गुजरात में ही ‘भीड़ की हिंसा’ (मॉब लिंचिंग) के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन शुरू हो गये हैं.
देर से प्राप्त सूचना के अनुसार, “# इंडिया फाइट्स बैक” के बैनर तले गुजरात के अहमदाबाद में 23 जुलाई की शाम को ‘भीड़ की हिंसा’ (मॉब लिंचिंग) और महिलाओं एवं बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा के विरोध में एक जोरदार प्रदर्शन किया गया.
अहमदाबाद के शिवरंजनी चौराहे पर रानी झांसी की प्रतिमा के सामने हुए इस प्रदर्शन के लिए पुलिस ने पहले अनुमति देने में आनाकानी की, लेकिन प्रदर्शनकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के दमदार तर्कों के बाद उसने इसकी इजाज़त दे दी.
‘नफ़रत भरी हिंसा के आरोपियों को संरक्षण देना बंद करो’ (स्टॉप प्रोटेक्टिंग द एक्यूज्ड इन हेट क्राइम्स), ‘चुप्पी अब एक विकल्प नहीं’ (साइलेंस इज नो लॉन्गर एन आप्शन), ‘कठुआ और उन्नाव के दोषियों को सजा दो’ (पनिश द गिल्टी इन कठुआ एंड उन्नाव), और ‘हम जुल्मतों से देश को आज़ाद करायेंगे, चाहे जो भी कर लो हम तो बढ़ते जायेंगे’ जैसे नारों से सजी तख्तियां और पोस्टर लिए प्रदर्शनकारियों ने भीड़ तंत्र की हिंसा के खिलाफ अपना जबरदस्त आक्रोश जाहिर किया. उन्होंने गीतों और नारों के माध्यम से हिंसा की मनोवृति को ख़ारिज करने का एलान किया.
प्रदर्शनकारियों में मुजाहिद नफ़ीस, निर्झरी सिन्हा, शकील शेख़, प्रसाद चाको, जाहिद शेख़, प्रीति ओझा, रमेश श्रीवास्तव, अश्विन वाघेला आदि जैसे सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे. इन कार्यकर्ताओं का एक स्वर से यह कहना था कि “लोग अब भीड़ तंत्र की कारगुजारियों से ऊब चुके हैं और इस माहौल से निजात पाना चाहते हैं”.
गौरतलब है कि अभी पिछले सप्ताह राजस्थान के अलवर जिला में, जहां राज्य का पहला गौ – रक्षा पुलिस थाना स्थापित किया गया था, हरियाणा के एक 28 वर्षीय मेव मुसलमान अकबर खान को भीड़ द्वारा पीट – पीटकर मार डाला गया. अकबर और उसका एक साथी दो गायों को लेकर एक जंगल भरे इलाके से गुजरते हुए अपने गांव लौट रहे थे, तभी एक भीड़ द्वारा उनपर हमला बोल दिया गया.
यह घटना गौ – रक्षकों की एक भीड़ द्वारा पहलू खान को पीट - पीटकर मार दिए जाने के एक साल बाद हुई. भीड़ की पिटाई में पहलू खान के परिवार के अन्य सदस्य बुरी तरह घायल हुए थे. पहलू खान पर हमला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – 8 पर किया गया था. उस घटना में राजस्थान पुलिस ने दोषियों को गिरफ्तार करने के बजाय पहलू खान और उनके साथ के अन्य लोगों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया था.
पिछले साल नवम्बर में अलवर में ही उमर खान को रेल की पटरियों के निकट मृत पाया गया था. उनके परिजनों का कहना था कि उन्हें गौ – रक्षकों की एक भीड़ द्वारा मार डाला गया. लेकिन इस मामले में अबतक कुछ भी सामने नहीं आ पाया है.