“अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित और बाधित करने के प्रयासों की हम निंदा करते हैं”
दक्षिण भारत में शास्त्रीय संगीत के कलाकारों पर हमले का कड़ा विरोध
देश के जाने – माने कलाकारों एवं संगीतकारों, भूतपूर्व न्यायधीशों एवं नौकरशाहों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों तथा जीवन के अन्य क्षेत्रों में सक्रिय प्रबुद्ध नागरिकों ने एक संयुक्त बयान जारी कर शास्त्रीय संगीत समारोहों में विभिन्न संप्रदायों का संगीत पेश करने की वजह से दक्षिण भारतीय संगीतकारों पर किये गये हमलों की कड़ी निंदा की है.
पेश है उनका सम्पूर्ण बयान :
हाल में दक्षिण भारत में, हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले असहिष्णु तत्वों के दबाव में शास्त्रीय संगीत के जाने – जाने कलाकारों को धमकाने और उनके कार्यक्रमों को रद्द किये जाने या यों कहें कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं संगीत समारोहों की विषय – वस्तु एवं उसके स्वरुप को निर्देशित किये जाने की कई घटनाएं हुईं हैं. हम, अधोहस्ताक्षरी, इस किस्म के उत्पीड़न, भयादोहन एवं अन्य अलोकतांत्रिक तरीकों से आवाज़ को दबाये जाने का कड़ा विरोध एवं निंदा करते हैं. शास्त्रीय संगीत के कलाकारों का यह कदम रचनात्मकता, एकता एवं मानवता की अभिव्यक्ति है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक आधुनिक समन्वित परंपरा के निर्माण में सहायक साबित होगी.
लेखकों, चिंतकों एवं कलाकारों पर सामाजिक निगरानी एवं प्रतिबंधों के वर्तमान माहौल में, कर्नाटक संगीत के प्रतिष्ठित कलाकारों पर हालिया हमलों के जरिए एक बार फिर से भय का डंडा चलाया गया है. इससे कानून के राज की असफलता और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की अवहेलना उजागर हुई है. यह बेहद चिंताजनक है कि न तो न्यायपालिका जैसी स्वतंत्र संस्था ने और न ही सरकारों ने, जिसका कर्तव्य लोकतांत्रिक मूल्यों एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना है, दखल देकर इस खतरे से निपटने के लिए कोई निर्णायक कदम उठाया है.
लिहाजा कलाकारों, सिविल सोसाइटी समूहों एवं आम नागरिकों पर यह जिम्मेदारी आ पड़ी है कि वे रचनात्मक अभिव्यक्ति के लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक अधिकार को बचाने के लिए आगे आयें. खुद को संस्कृति, परंपरा एवं विरासत का रक्षक होने का दंभ भरने वाले एक (छोटे) समूह को हम डराने और हिंसा की धमकी देने की इजाज़त नहीं दे सकते. ऐसे तत्वों को, चंद संगीतकारों को छोड़कर, काफी हद तक बाकी नागरिक समाज से चुनौती नहीं मिली है.
संगीत, सदभाव के सार्वभौम सत्य की एक अभिव्यक्ति है और इसकी सराहना के जरिए लोग आपस में जुड़ते है. लोग इसे समझते हैं और इसके माध्यम से सीमाओं के पार जाकर लोगों को एकसाथ लाया जा सकता है. यह बहुलता को ध्वनि के साथ एकाकार करता है. यही नहीं, यह अपने आकर्षण में समस्त मानव जगत को बांधते हुए विविध धर्मों के अंतर्संबंधों को रेखांकित करता है. इस तरीके से इसने बहुलता और सहिष्णुता के सिद्धांत को मजबूत किया है. जहां संगीत की विषय – वस्तु और उसके गीत लोगों एवं समुदायों के विविध धारणाओं एवं समझ को सामने लाते हैं, वहीँ यह एक समाज की सांस्कृतिक बहुलता की सार्वभौमता को स्थापित करता है.
कर्नाटक संगीत, शास्त्रीय संगीत की एक ऐसी विधा है जिसने सदियों से समकालीन सांस्कृतिक परिवेश को अपने भीतर समाहित किया है. जहां एक ओर इसकी धुनें शास्त्रीय शैली में रची गयीं, वहीं इन धुनों ने दिव्यता के अलग – अलग अहसासों से रूबरू कराया. जहां बहुसंख्यक धर्म और उसके संगीतकारों ने संगीत की दुनिया में कब्ज़ा जमाया है, वहीँ कुछ ऐसे संगीतकार रहे हैं जिनके गीत विभिन्न धार्मिक संप्रदायों की प्रशंसा में हैं. यही वो तरीका है, जिसे अपनाया जाना चाहिए.
विभिन्न धर्मों एवं लोगों को संगीत के एक धरातल पर एकसाथ लाने के लिए कई संगीतकारों को दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों की ओर से धमकियां मिली हैं. इनमें से कुछ लोगों को डराकर माफ़ी मांगने और कार्यक्रम रद्द करने पर मजबूर किया गया है.
लंबे समय तक कर्नाटक संगीत के छात्र और शिक्षक रहे टी. सैमुअल जोसेफ की ओर से श्री ओ. एस. अरुण को ईसा मसीह से जुड़ी कर्नाटक संगीत की रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन इसके लिए श्री अरुण पर ऑनलाइन हमला किया गया और इस कार्यक्रम को रद्द करने के लिए उनपर दबाव बनाया गया.
उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए उस कार्यक्रम को रद्द कर दिया. इसके कुछ ही दिनों बाद, एक इसाई गीत गाते हुए निथ्याश्री महादेवन की तस्वीरें लोगों की नकारात्मक टिप्पणियों के साथ व्हाट्स एप्प और सोशल मीडिया पर सामने आयीं. वाशिंगटन स्थित एसएसवीटी मंदिर, जिसने श्री टी. एम. कृष्णा को गाने के लिए बुलाया था, ने हिन्दुओं के स्वघोषित पहरेदारों के दबाव में अपना आमंत्रण वापस ले लिया.
श्री टी. एम. कृष्णा ने अपने एक बयान में कहा, “ ईसा मसीह से जुड़ी कर्नाटक संगीत की रचनाओं के बारे में सोशल मीडिया पर कई लोगों की ओछी टिप्पणियों एवं आलोचनाओं को देखते हुए मैं यह एलान करता हूं कि मैं हर महीने ईसा मसीह या अल्लाह से जुड़ी कर्नाटक संगीत की एक रचना जारी करूंगा.”
हम इन संगीतकारों के सकारात्मक प्रयासों की सराहना करते हैं और इसके प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हैं. हम उनकी लानत – मलामत करने की कार्रवाई के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराते हैं. हम इस सार्वभौम सत्य को दोहराना चाहते हैं कि संगीत न तो सांप्रदायिक होता है और न ही हो सकता है. यह किसी एक धर्म विशेष की जागीर नहीं हो सकता. हरेक किस्म का संगीत सभी समुदाय के लोगों की भागीदारी के लिए खुला होता है और संगीत की विरासत संपूर्ण मानवता के लिए होती है. हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित और बाधित करने के नवजात प्रयासों की निंदा करते हैं और इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए आपको आमंत्रित करते हैं.
1. अशोक वाजपेयी
2. अरुणा रॉय
3. न्यायमूर्ति ए पी शाह
4. न्यायमूर्ति के चंद्रू
5. श्याम बेनेगल
6. गिरीश कर्णद
7. अदूर गोपालकृष्णन
8. आनंद पटवर्धन
9. राजमोहन गांधी
10. देवकी जैन
11. रोमिला थापर
12. मल्लिका साराभाई
13. लीला सैमसन
14. शुभा मुद्गल
15. किरण सेठ
16. त्रिपुरी शर्मा
17. राम रहमान
18. मालविका सरुककाई
19. चारुल भारवाड़ा
20. विनय महाजन
21. प्रभात पटनायक
22. जयती घोष
23. अन्ंद तेलतुंबडे
24 सतीश देशपांडे
25. आभा सुर
26. भद्रुरी से प्रवेश करें
27. जोया हसन
28. नंदी नंदी
29. पेरूमल मुरुगन
30. रामचंद्र गुहा
31. शिव विश्वनाथन
32. सईदा हमीद
33. इंदिरा जयसिंग
34. प्रशांत भूषण
35. शांति सिन्हा
36 एन सी सक्सेना
37. वजाहत हबीबुल्लाह
38. जूलियो रिबेरो
39. जॉन दयाल
40. मे. जन. एसजी वोम्बाटककर
41. नमिता गोखले
42. आभा भाई
43. मुकुल केसन
44. बाबू मैथ्यू
45 सोमासुंदर बुरा
46. जगदीप छोकार
47. देवसाहयम एमजी
48. शबनम हाश्मी
49. बेज़वाडा विल्सन
50. हर्ष मंदर
51. मेधा पाटकर
52. हेनरी टिपहगेन
53. डुनू रॉय
54.ए के शिवकुमार
55. शेखर सिंह
56. स्वामी अग्निवेश
57. कमला भसीन
58. तीस्ता सीतलवाड़
59. रुद्रांगशु मुखर्जी
60. पी साईंथ
61. रोजामा थॉमस
62. पामेला फिलिपोज़
63. केशव देसीराजू
64. परशुरामन
65. मैरी ई जॉन
66. बेला भाटिया
67. इरफान अभियंता
68 नित्यानंद जयरामन
69. लक्ष्मी कृष्णमूर्ति
70.S. Anandalakshmy
71. वसुंथ कन्नबीरन
72. इमराना कडेर
73. नरेश्वर दयाल
74. अशोक कुमार शर्मा
75. उमा पिल्लई
76. कमल जसवाल
77. उज्जमा
78. दीपाली तनेजा
79. अंजना मंगलागिरी
80. ब्रिजेश कुमार
81. अंजली बनर्जी
82. राधा गोपाल
83. इशरत अज़ीज़
84. नागल सैमी
85 निरंजन पेंट
86. अशोक शर्मा
87. सी बालकृष्णन
88. डॉ.. एम ए इब्राहिमी
89. एस. वाई कुरैशी
90. फेबियन केपी
91. अभिजीत सेनगुप्ता
92. दीपक सानन
93 नीलंजन हजरा
94. विनो भगत
95. रजनी बक्षी
96. आलोक पर्ती
97. भानुमती शर्मा
98. अरनी रॉय
99. ममता जेटली
100. रेखा बेजबोरुआ
101. निशा मल्होत्रा
102. ज्योति कृष्णन
103. डी के मनावलन
104. पी भट्टाचार्य
105. वी रमानी
106. सलाहुद्दीन अहमद
107. हिरक घोष
108. एम बी प्रणेश
109. लक्ष्मी प्रणेश
110. शांति काकर
111. गीता थूपाल
112. विभा पुरी दास
113. अर्धेंदु सेन
114. मधु भादुरी
115. एस पी एम्ब्रोस
116. अरुण कुमार
117. सुशील त्रिपाठी
118. रवि बुद्धिरजा
119. नरेंद्र सिसोदिया
120. विनीता राय
121. अन्ना दानी
122. वप्पला बलचंद्रन
123. अमिताभ पांडे
124. ललित माथुर
125. कल्याणी चौधरी
126. ईएएस शर्मा
127. आफताब सेठ
128. नितिन देसाई
12 9. देब मुखर्जी
130. के आर वेणुगोपाल
131. नूर मोहम्मद
132. सुबोध लाल
133 शिवशंकर मेनन
134. त्रिलोचन सिंह
135. संजीवी सुंदर
136. प्रणव मुखोपाध्याय
137. गोपाल बालागोपाल
138. मीनाक्षीसुन्दरम एसएस
13 9. अदिति मेहता
140. मीना गुप्ता
141. सुजाता राव
142. उमरराव सलोदिया
143. डॉ राजू शर्मा
144. रवि वीरा गुप्ता
145. अनीता अग्निहोत्री
146. विक्रम व्यास
147. बसंत हेटम्सिया
148. अरुंधती धुरु
14 9. गेब्रियल डाइट्रिच
150. कृष्णकांत चौहान
151. कामयानी बाली महाबल
152. पूनम मुत्तरेजा
153. एम वाई राव
154. अनन्या वाजपेयी
155. हिंदल तैयबजी
156. एम एन रॉय
157. ए सेल्वराज
158. सुहास कोल्हाकर
15 9. रमेश गंगोली
160. मोयुख चटर्जी
161. आनंद मुरुगेसन
162. देवराम कनरा
163. दीपक रॉय
164. एन के रघुपति
165. सामंथा अग्रवाल
166. अहोना पालचौधरी
167. लेखा भगत
168. दुर्गेश सोलंकी
16 9. सिद्धार्थ रतन
170. पूर्णिमा सिंह
171. पारस बंजारा
172. नचिकेत उडुपा
173. स्वर्ण राजगोपालन
174. अनंत नाथ
175. सुमिता मेहता