पहलू खान मामले में अदालत जाते समय अजमत खान पर हमला
कार – सवार अज्ञात हमलवारों के हमले में बाल – बाल बचे
“हम डरे हुए हैं, जबतक पुलिस हमें सुरक्षा नहीं देती, चाहे कुछ भी हो जाये अब हम कोर्ट नहीं जायेंगे. वे हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं. जान से ज्यादा कीमती और कुछ भी नहीं है,” यह कहना है अजमत खान का, जो पांच अन्य लोगों के साथ पहलू खान हत्या मामले में चल रही अदालती कार्रवाई में भाग लेने के लिए जा रहे थे जब उनपर हमला हुआ और गोलियां चलायी गयीं.
यह दूसरा मौका था, जब अजमत का मौत से सामना हुआ. पहली बार, उन्हें गौ – रक्षकों की उस भीड़ ने पीटकर अधमरा कर दिया था, जिसने सालभर पहले दिल्ली – जयपुर राजमार्ग पर दिनदहाड़े पहलू खान की हत्या कर दी थी. उस घटना में अज़मत बुरी तरह लहूलुहान हुए थे और दिल्ली के एक अस्पताल में छह महीने तक इलाज कराने के बाद ही घर लौट पाये थे. वे अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाये हैं और खौफ के साये में गरीबी की ज़िन्दगी जी रहे हैं.
पहलू खान हत्या मामले में सभी नामजद आरोपी जमानत पर बाहर हैं. उनके अपराध के लिए उन्हें बंद नहीं रखा गया. इसके उलट, अपने वकील और पहलू खान के दो बेटों एवं रिश्तेदारों के साथ अदालत की कार्रवाई में भाग लेने के लिए जाते समय उसी दिल्ली – जयपुर राजमार्ग पर बिना नंबर – प्लेट वाली एक कार में सवार चार – पांच लोगों द्वारा अजमत खान का पीछा किया गया, उन्हें गालियां दी गयीं और उनपर गोलियां दागी गयीं. उनकी जान सिर्फ इसलिए बच पायी क्योंकि वे रुके नहीं और उनके ड्राईवर ने चुतराई का परिचय देते हुए कार को राजमार्ग पर उल्टी दिशा में ले जाकर वापस दिल्ली की ओर भगाना शुरू किया.
अजमत खान ने द सिटिज़न को बताया कि उन्होंने उक्त कार को नीमरान के आगे महाराजा होटल के पास एक सुनसान इलाके में इंतजार करते पाया. उस कार में सवार लोगों ने तो पहले उन्हें रोकने की कोशिश की और जब वे नहीं रुके, तो उन्होंने बॉलीवुड की एक मारधाड़ वाली फिल्म के एक दृश्य की भांति उनका पीछा करना शुरू किया. एक मौके पर करीब आने पर उनलोगों ने भद्दी गालियां देते हुए उन्हें अपनी गाड़ी रोकने को कहा.
अजमत ने बताया, “हमें तत्काल समझ में आ गया कि कुछ गड़बड़ है और हमने अपनी गाड़ी की गति की बढ़ा दी. लेकिन उस कार ने हमारा पीछा करना जारी रखा. कभी वो हमारी गाड़ी के बराबर में आ जाते, तो कभी हमारे पीछे होते. कई बार तो वे हमें लगभग ओवरटेक करने की स्थिति में भी पहुंचे. जब उन्होंने हमपर गोलियां दागनी शुरू की, तो हमारे ड्राईवर ने कार को राजमार्ग पर दूसरी तरफ वापस दिल्ली जाने वाली दिशा में ले गया. और अंदरूनी रास्तों के जरिए हम किसी तरह अलवर में पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचे.”
इस संबंध में एक एफआईआर दर्ज करायी गयी और पुलिस ने सुरक्षा देने का वादा किया. लेकिन कई कारणों से परिवार के लोगों को इस बात का भरोसा नहीं हो पा रहा कि पुलिस अपने वादे पर कायम रहेगी. जैसाकि अजमत खान ने कहा, “हमारी जान की सलामती को लेकर हर कोई डरा हुआ है.”
हरियाणा के मेवात इलाके के नूह तहसील के जयसिंहपुर गांव के 55 वर्षीय निवासी पहलू खान 31 मार्च 2017 को डेयरी व्यावसाय के लिए मवेशी खरीदने के लिए जयपुर गये थे. वे डेयरी व्यावसाय में संलग्न अपने गांव के 10 किसानों में से एक थे और वह रमजान से पहले का समय था. वे छह अन्य लोगों के साथ 1 अप्रैल को मवेशी खरीदकर लौट रहे थे जब 200 गौ – रक्षकों की एक भीड़ ने उन्हें रोका और राजमार्ग पर ही उनपर हमला कर दिया. पहलू खान को पीट – पीटकर मार डाला गया और उनलोगों की मवेशी को जब्त कर लिया गया एवं उनके पैसे छीन लिए गये. अजमत खान बर्बाद हो गये क्योंकि उनके मवेशी और पैसे, दोनों, चले गये थे. छह महीने बाद अस्पताल से लौटने पर वे कंगाल हो चुके थे.
गौ – रक्षकों की भीड़ इस बात पर जोर दे रही थी कि वे मवेशियों को काटने के लिए ले जा रहे थे और बिक्री के दस्तावेज दिखाये जाने के बावजूद वह कुछ सुनने को राजी नहीं थी. पहलू खान के बेटों ने अपनी आखों के सामने अपने पीटा को मरते देखा.
आज तक उस शोकग्रस्त और पीड़ित परिवार के साथ कोई इंसाफ नहीं हुआ है. उस परिवार की महिलाओं ने थोड़े समय पहले द सिटिज़न को बताया था कि जब भी उनके लड़के बाहर निकलते हैं, तो वे डरी हुई होती हैं और बहुत मुश्किल से उन्होंने अपने घर से निकलना बंद कर दिया. लेकिन इस खुलेआम हमले से उनका डर सही साबित हुआ. अजमत और अन्य लोगों की अब यह साफ़ राय है कि जबतक उन्हें पर्याप्त पुलिस सुरक्षा नहीं मुहैया करायी जाती, वे अदालती कार्रवाई में भी भाग लेने नहीं जायेंगे. वे मौत के मुंह में जाने से बाल – बाल बचे.
सभी नामजद आरोपी जमानत पर बाहर हैं. इसके उलट, इस परिवार को कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है और नियमित अंतराल पर अदालत में पेश होना पड़ रहा है. डेयरी व्यावसाय से जुड़े होने के बावजूद वे अब मवेशी नहीं खरीद सकते. लिहाज़ा, उन्हें एक जद्दोजहद भरी ज़िन्दगी बितानी पड़ रही है.