“राम मंदिर का शिगूफा, बाबा साहेब के विचारों पर हमला”
लखनऊ में हुई चिंतन बैठक में सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के नेताओं की राय
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के नेताओं ने 3 नवंबर को गांधी भवन में देश के मौजूदा हालात पर चिंतन बैठक की. बैठक में राज्य के बलिया, झांसी, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, इलाहाबाद, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, देवरिया, कासंगज, सहारनपुर समेत दो दर्जन जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
इस मौके पर बहराइच में 280 लोगों पर यूएपीए लगाए जाने के सिलसिले में एनसीएचआरओ और रिहाई मंच के नेताओं के दौरे की रिपोर्ट जारी की गई.
बैठक की अध्यक्षता कर रहे रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज एक बार फिर बाबा साहेब के परिनिर्वाण दिवस को कलंकित करने के लिए 6 दिसंबर से राम मंदिर निर्माण का शिगूफा छोड़कर मुल्क को सांप्रदायिकता की आग में झोका जा रहा है. ऐसे माहौल में आयोजित यह बैठक निर्णायक साबित होगी. उत्पीड़ित समाज की एकजुटता और एक साथ लड़ने का संकल्प मनुवादी ताकतों के मंसूबों को पूरा नहीं होने देगा.
एनएपीएम की संविधान बचाओ यात्रा से लौटी अरुंधति ध्रुव ने कहा कि संघर्ष के इलाके प्रतिरोध की शक्तियों को न सिर्फ उर्जा देते हैं बल्कि यह भी तय करते हैं कि मुल्क कैसा होगा. बुलेट ट्रेन की राजनीति करने वालों को दिल्ली में पहुंचे किसानों ने बता दिया कि इस देश की राजनीति वो नहीं बल्कि इस देश का मेहनतकश किसान तय करेगा.
दिल्ली से आए एनएपीएम नेता विमल भाई ने कहा कि जो जहर बापू की हत्या के बाद बोया गया था आज वो विकराल रुप में हमारे सामने है. इस जहर ने अल्पसंख्यकों की तो सिर्फ जिन्दगी ली पर बहुसंख्यक हिंदू समाज के अन्दर एक हिंसात्मक जेहनियत का निर्माण किया जिसका खामियाज़ा हिंदू समाज को लम्बे समय तक भुगतना पड़ सकता है.
वकर्स काउंसिल के संयोजक ओपी सिन्हा ने कहा कि स्वतंत्र नागरिक की राजनीतिक भूमिका इस पूंजीवादी साम्राज्यवादी राज्य सत्ता का अंत कर देगी. नागरिक सत्ता की बहस को जमीन पर ले जाए बगैर इस फासीवादी निजाम से नहीं लड़ा जा सकता.
इलाहाबाद से आए सीपीआईएमएल के वरिष्ठ नेता आशीष मित्तल कहते हैं कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने वाली राजनीति किसानों, आदिवासी को उनकी जमीन से बेदखल कर रही है. गोरक्षकों द्वारा गोपालकों की हत्या की जा रही है. योगी सरकार आने के बाद सुनियोजित तरीके से दलितों और अल्पसंख्यकों की मुठभेड़ के नाम पर हत्या हो रही है.
इलाहाबाद के वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी खालिद सिद्दीकी ने कहा कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करना राजनीतिक दिवालियापन है. किसी क्षेत्र की संस्कृति सरकारी नामों की मोहताज नहीं है, इलाहाबाद था और इलाहाबाद ही रहेगा.
बलिया से आए वंचित समाज के आंदोलनों के नेता बलवंत यादव ने कहा कि बेरोजगारी, पलायन, उत्तर भारतीयों पर बढ़ते हमले के इस दौर में विपक्ष घुटने टेक चुका है. सरकारें मंदिर- मस्जिद की आड़ में देश में आग लगाने पर आमादा हैं और विपक्ष ध्रुवीकरण के डर से चुप्पी साधे बैठा है. जो विपक्ष खुद को बचा नहीं सकता वो आम आदमी को क्या बचाएगा.
2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान जेल गए मुजफ्फरनगर के आशू चौधरी ने कहा कि योगी सरकार में लगातार उनका ज़िला निशाने पर है. पुरवालियान में बच्चों के क्रिकेट मैच को लेकर हुए तनाव के बाद पुलिस ने भाजपा सांसद संजीव बालियान के दबाव में न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के निर्दोषों पर मुकदमा कायम किया बल्कि तीन लोगों पर रासुका भी लगा दिया. ठीक इसी तरह बुढ़ाना में सांप्रदायिक तनाव के बाद भाजपा विधायक उमेश मलिक ने प्रशासन को निर्देश दिया था कि एक घंटे मुसलमानों पर लाठियां चलवाओ.
2 अप्रैल को ही आजमगढ़ में हुए भारत बंद के दौरान गिरफ्तार बांकेलाल यादव कहते हैं कि आजमगढ़ में भारत बंद के दौरान तत्कालीन एसएसपी अजय साहनी के आदेश पर दलित युवाओं को घरों से उठा-उठाकर फर्जी मुकदमें लगाए गए. ये वही अजय साहनी हैं जिन्होंने अलीगढ़ में दो मुस्लिम युवाओं को उठाकार फर्जी मुठभेड़ का लाइव इनकाउंटर किया जिसपर सवाल उठे.
मुजफ्फरनगर से आए पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विनोद वत्स ने कहा कि उन्हें सवाल उठाने का यह इनाम मिला है कि उन पर फर्जी मुकदमें पर्जीकृत कर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. जनवरी 2018 में उन्होंने नकली शराब को लेकर खबर छापी कि पकड़े गए माल का आधा पुलिस ने दिखाया और आधा बेच दिया. इसके बाद उन पर दबाव बनाया गया जिसकी शिकायत एसएसपी मुजफ्फरनगर से 29 जनवरी को मिलकर की. वे कहते हैं कि यह शिकायत मुझे और मेरे परिवार पर भारी पड़ी और मेरे खिलाफ 2 फरवरी और 3 फरवरी को फर्जी मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया. जिसमें 29 दिनों तक मैं और मेरे भाई ने जेल काटी.
वहीं सुल्तानपुर से आए उदय प्रताप कोरी ने कहा कि उन पर फर्जी मुकदमें लादकर हिस्ट्रीशीटर बना दिया.
स्वराज अभियान के नेता राजीव ध्यानी ने कहा कि यह संकट दीर्घकालिक है और हमें राजनीतिक हस्तक्षेप करना पड़ेगा. सांप्रदायिकता की आड़ में संसाधनों का बेतहाशा दोहन हो रहा है.
फासीवादी विरोधी मोर्चा के नेता कृपाशंकर ने कहा कि वर्तमान सरकार में जगह-जगह सांपद्रायिक हिंसा अंजाम देने वालों को खुली छूट देकर पूरे मुल्क को आग में झोकने का काम किया जा रहा है. इसका ज्वलंत उदाहरण है कि बहराइच में सांप्रदायिक तनाव जैसी घटना के बाद अल्पसंख्यकों पर यूएपीए लगा दिया जाता है.
गोरखपुर से आए शिवाकांत तिवारी ने कहा कि आर्थिक आजादी के लिए देश में व्यापक आंदोलन चलाए बिना वंचित तबके को कारपोरेट गुलामी से मुक्ति नहीं मिलेगी.
कासंगज सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ित शाहनवाज ने कहा कि उनके परिजनों पर रासुका के तहत कार्यवाई की गई है. जबकि सच्चाई सब जानते हैं कि कासगंज में क्या हुआ था. पिछले नौ महीनों से पूरा परिवार दहशत में जीने को मजबूर है.
बलरामपुर से आए सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता मोहम्मद मसूद रज़ा ने कहा कि उन्होंने बजाज शूगर मिल के खिलाफ जनहित याचिका दायर किया तो थानेदार ने न सिर्फ दौड़ा-दौड़ाकर पीटा बल्कि उन पर फर्जी मुकदमें भी लाद दिए और इनकाउंटर करने की धमकी भी दी.
किसान नेता शिवाजी राय ने कहा कि वर्तमान सरकारें मजदूरों के शोषण पर टिकी हैं. जो धर्म के नाम पर वोटों की राजनीति कर रहे हैं वे लोग रोज आत्महत्या करते किसानों के हत्यारें हैं.
भागीदारी आंदोलन के संयोजक पीसी कुरील ने कहा कि वंचित, शोषित समाज की लड़ाई के लिए हमें राजनीतिक हस्तक्षेप करते हुए जनता को खड़ा करना होगा।
सहारनपुर से आए विश्व शांति मानव एकता मंच के नेता फिरोज गुर्जर का कहना था कि चार साल से शाकुंबरी मिल टोड्डरपुर बंद है। इस वजह से किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है और अपना गन्ना औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर है.
आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के उदय नाथ सिंह ने कहा कि निर्माण मजदूरों का उत्पीड़न इतना चरम पर है कि काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं में मारे जाने के बाद उनकी एफआईआर तक नहीं लिखी जाती. नोटबंदी ने तो उनके जीवन पर ही संकट खड़े कर दिए जिससे आज तक वो उबर नहीं पाए.।
बैठक में आगामी कार्यक्रम की रुपरेखा पर नाहिद अकील, एसके पंजम, वसीम, पूर्व आईजी वजीह अहमद ने अपने विचार रखे. संचालन मसीहुद्दीन संजरी ने किया.