बिहार के थारू समाज और सुदूर इलाकों की बेटियों का हौसला
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की वार्षिक परीक्षा 2019 में दिखाया जलवा
डॉक्टर बन कर लोगो की सेवा करने का सपना देखने वाली 16 वर्षीय कविता ने घर का कामकाज करते हुए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की वार्षिक परीक्षा 2019 में प्रथम श्रेणी से उतीर्ण होकर अपने परिवार का नाम रौशन किया है। कविता ने 500 में से 369 अंक प्राप्त किये। उसने गणित विषय में 81 प्रतिशत अंक अर्जित किये हैं।
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के कमरछनिया गाँव की रहने वाली और थारू जनजाति की कविता बताती है, “ मेरा परिवार गरीब है और हम निजी कोचिंग संस्थान का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। मुझे पता है कि मेरे सपने को पूरा करने के लिए मुझे और अधिक मेहनत करने की जरुरत है।“
कविता ने बोर्ड परीक्षा में प्रथम श्रेणी हासिल कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पहला महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है।बिहार के दो सुदूर जिलों में ऐसी ही कुछ छात्राओं ने विषम परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनो को पूरा करने हेतू महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। इन सभी लड़कियों ने बोर्ड परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण चरण को सफलतापूर्वक पार कर लिया है।
वैसे तो, ये सभी लड़कियां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। लेकिन उनकी सफलता के पीछे क्राई जैसी स्वयंसेवी संस्था का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। क्राई ने विषम परिस्थितिओं में रहने वाली इन छात्राओं के लिए निःशुल्क शिक्षा प्रेरक केंद्र स्थापित किये हैं, जहाँ से उन्हें इस प्रकार की सफलता हासिल करने में बेहद मदद मिली है।
कविता की माँ मीना देवी एक खेतिहर मजदूर है, जबकि उसके पिता श्रीराम जीविकोपार्जन के लिए पलायित होकर दिल्लीह में रहते हैं। घर की बड़ी बेटी होने के नाते माँ के काम पर चले जाने के पश्चात घर के काम-काज की सारी जिम्मेदारी कविता के उपर ही होती है। प्रत्येक दिन घरेलू कामकाज निबटाने के बाद कविता को अपने विद्यालय पहुँचने के लिए वाल्मीकिनगर टाइगर रिज़र्व के भीतर 7 किलोमीटर घने और बीहड़ जंगल से होकर जाने वाले रास्ते को पार करना पड़ता है। इतनी विषम परिस्थितियों को भी कविता ने अपने लक्ष्य के आड़े नहीं आने दिया।
विद्यालय में अपनी नियमित कक्षाओं के साथ साथ इस स्वयंसेवी संस्था द्वारा चलाये जा नौरंगिया शिक्षा प्रेरक केंद्र से उसे बहुत मदद मिली। रेणु कुमार इस शिक्षा प्रेरक केंद्र के 46 अन्य छात्राओं को पढ़ाते हैं। वह कविता के लिए काफी गर्व महसूस करते हुए कहते हैं, “कविता अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित थी और उसने रास्ते में आने वाली हर बाधा को बखूबी पार किया है। इसी तरह, रिंझु कुमारी ने गरीबी व मुसीबत से जूझते हुए मैट्रिक परीक्षा में परचम लहराया।“
समस्तीपुर जिले के गंगसारा गाँव की रहने वाली 16 वर्षीय मुस्कान कुमारी ने भी दसवीं के बोर्ड परीक्षा में प्रथम श्रेणी (500 में से 312 अंक ) प्राप्त कर अन्य छात्राओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।जीव विज्ञान में रूचि रखने वाली मुस्कान आगे जा कर शिक्षक बनकर गाँव के बच्चों को पढाना चाहती है। मुस्कान की इस सफलता ने उसके सपनो को साकार करने की आस जगा दी है। क्राई द्वारा संचालित निःशुल्क शिक्षा प्रेरक केंद्र ने मुस्कान की इस सफलता में अहम भूमिका निभायी है।
घर की बढती जिम्मेदारियों की वजह से मुस्कान एक बार तो अपनी पढाई छोड़ने के कगार पर आ गई थी। लेकिन उसी समय उसकी मुलाकात एक स्वयंसेवी संस्था की कार्यकर्त्ता वीणा कुमारी से हुई। वीणा ने उसे अपनी पढाई जारी रखते हुए शिक्षा प्रेरक केंद्र से जुड़ने की सलाह दी। मुस्कान आज बहुत खुश है। वह कहती है, “मैंने जो भी किया उससे मैं बहुत संतुष्ट हूँ। लेकिन अगले दो सालों में मुझे और भी मेहनत करने की जरुरत होगी।“
मुस्कान के माता - पिता रेखा देवी तथा जय साह को आज अपनी बेटी पर गर्व है। उसकी सफलता को देखते हुए उन्होंने भी उसके आगे की पढाई में भरपूर सहयोग देने का निश्चय किया है। उन्होंने वीणा का भी धन्यवाद किया जिन्होंने मुस्कान का मनोबल बढ़ाने में अहम भूमिका निभायी।
मुस्कान की तरह अख्तियारपुर शिक्षा प्रेरक केंद्र की छात्रा चाँदनी ने भी बोर्ड परीक्षा में सफलता अर्जित किया है। पांच भाई - बहनों में सबसे बड़ी चांदनी को सामाजिक विज्ञान में अधिक रूचि है तथा वह बड़ी होकर शिक्षक बनना चाहती है। उसकी आगे की योजना केएसआर कॉलेज में नामांकन कराने की है, जो उसके गाँव से 7 किलोमीटर दूर सरायरंजन प्रखंड में स्थित है। अख्तियारपुर शिक्षा प्रेरक केंद्र के किसलय कुमार को मुस्कान और चाँदनी के साथ - साथ अपने उन 12 अन्य छात्राओं पर भी गर्व है जिन्होंने इस वर्ष की बोर्ड परीक्षा में सफलता प्राप्त किया है। किसलय ने बताया, “ सभी छात्राओं ने बहुत लगन से पढाई की तथा बिषम परिस्थितियों से कभी हार नही मानी।“