कश्मीर घाटी में पढाई पर सवालिया निशान?
शोपियां की हिंसा के आलोक में संस्थानों को बंद रखने का आदेश
जाड़े की दो महीने की छुट्टियों के बाद कश्मीर के जिन शिक्षण – संस्थानों को खुल जाना था, वो आज लगातार पाचवें दिन भी बंद रहे क्योंकि शोपियां में आम नागरिकों के मारे जाने के बाद घाटी में गुस्से की लहर अब भी बरक़रार है.
जम्मू – कश्मीर सरकार द्वारा बुधवार को जारी एक आदेश के मुताबिक शोपियां में रविवार को हुई हिंसा के विरोध में जारी प्रदर्शनों और टकराव की घटनाओं को देखते हुए राज्य के तमाम शिक्षण – संस्थान, जो गुरुवार को खुलने वाले थे, शनिवार तक बंद रहेंगे.
राज्य के स्कूल और कालेज जाड़े की छुट्टियों के बाद सोमवार को खुलने वाले थे. लेकिन शोपियां के पहनू गांव में चार आम नागरिकों के मारे जाने के विरोध में कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में टकराव और प्रदर्शन की घटनाएं भड़क उठने के बाद इन संस्थानों को बुधवार तक बंद रखने का आदेश जारी किया गया.
लेकिन राज्य सरकार ने कल छुट्टी की अवधि को और आगे बढ़ा दिया.
राज्य सरकार के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आफ़ताब निसार नाम के व्यावसायी, जिनका बेटा श्रीनगर के एक प्रतिष्ठित मिशनरी स्कूल में पढता है, ने कहा, "यह बहुत ही दुखद है. पर हम क्या कर सकते हैं? पिछले साल हुर्रियत द्वारा बुलाई गयी हड़ताल की वजह से हमें अपने बच्चों को घर में बिठाकर रखना पड़ा था. अब सरकार भी वही रवैया अपना रही है.”
सरकार ने जहां बच्चों को घर में ही रुकने को कहा है, वहीँ शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों को अपने – अपने संस्थान में उपस्थित रहने का आदेश दिया है. श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बताया कि उनलोगों को अधिकारियों द्वारा यह ‘सुनिश्चित’ करने की ‘सलाह’ दी गयी है कि शिक्षण –संस्थानों में कोई विरोध प्रदर्शन न हो.
नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया, “हमलोग शिक्षकों के साथ बैठकें कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि कक्षाओं में जल्द से जल्द पढाई शुरू हो. पिछले साल की हिंसक परिस्थितियों के बाद से हमें अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरुरत है ताकि परिस्थितियों में गिरावट न आने पाये.”
उक्त प्रधानाध्यापक ने बताया कि जम्मू – कश्मीर शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा उनलोगों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि किसी भी परिस्थिति में छात्र कानून – व्यवस्था को अपने हाथों में न लें. उन्होंने कहा, “ हम इस बार कोई जोखिम नहीं ले सकते. समस्या खड़ी होने की स्थिति में हमारे पास स्कूलों को बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.”
इधर, जम्मू – कश्मीर सरकार भी इस मसले पर सतर्कता के साथ कदम रख रही है ताकि परिस्थितियों में गिरावट आने से बचाया जा सके. सरकार खासकर बसंत के मौसम में बर्फ़ के पिघलने के बाद घाटी की हरी – भरी वादियों में पर्यटकों की आवाजाही पर कोई असर नहीं पड़ने देना चाहती.
जम्मू – कश्मीर सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने द सिटिज़न को बताया, “यह चिंता वाजिब है कि शोपियां की घटना की पृष्ठभूमि में शिक्षण – संस्थानों को खोलने का उपयुक्त माहौल नहीं है. लेकिन हमें स्थिति में सुधार के कई लक्षण दिखायी दे रहें हैं. उम्मीद है कि रविवार तक सामान्य स्थिति बहाल हो जायेगी.”
इस बीच, चार आम नागरिकों के मारे जाने के विरोध में शोपियां और आसपास के इलाकों में पूरी तरह बंद रखा जा रहा है. हालांकि, यह घटना विवादों के घेरे में आ गयी है.
मारे गए नागरिकों के परिजनों का यह आरोप है कि सेना के जवानों ने इस निर्मम घटना को अंजाम दिया है. जबकि सेना इस आरोप से इंकार कर रही है. उसका कहना है कि सिर्फ एक “जांच से ही यह स्पष्ट हो पायेगा कि आतंकवाद के साथ उनकी संलग्नता किस स्तर तक थी.”
रविवार की गोलीबारी की घटना में दो आतंकवादी भी मारे गए थे. इस साल शोपियां जिले में इस किस्म की यह दूसरी घटना थी. इससे पहले जनवरी में शोपियां के गनावपोरा गांव में तीन आम नागरिक मारे गए थे.