उत्तर प्रदेश में पिटा कश्मीरी छात्र ‘इस्लामिक स्टेट’ में शामिल

घर पर फोन करना किया बंद, परिवार से संपर्क खत्म

Update: 2018-11-03 13:49 GMT

उत्तर प्रदेश के शारदा यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग का एक 20 वर्षीय कश्मीरी छात्र, जिस पर यूनिवर्सिटी परिसर में पिछले महीने कुछ अज्ञात छात्रों ने हमला किया था, के तथाकथित इस्लामिक स्टेट में शामिल होने की ख़बर है.

सोशल मीडिया में वायरल हुए एक कथित ऑडियो संदेश में एहतिशाम बिलाल नाम के बी. टेक के इस छात्र ने अबू बक्र अल – बगदादी के नेतृत्व वाले ‘इस्लामिक स्टेट’ समूह के साथ जुड़े होने की घोषणा की.

उक्त ऑडियो क्लिप में एहतिशाम ने कहा, “ मुझे इस बात का फक्र है कि मैं अबू बक्र अल – बगदादी के नेतृत्व वाले जुनडुल खिलाफाह में शामिल हूं. मैंने शपथ ली है कि कश्मीर में इस्लामी शासन की स्थापना होने तक मैं चैन से नहीं बैठूंगा.”

पृष्ठभूमि में इस्लामिक स्टेट के झंडे के साथ बंदूक थामे उस नौजवान की एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर जारी की गयी है. जम्मू – कश्मीर पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक मुनीर खान ने बताया, “हम उस ऑडियो क्लिप और तस्वीर की असलियत का पता लगा रहे हैं.”

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि बीते 4 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर में अज्ञात छात्रों ने एहतिशाम पर हमला किया था. उस घटना के बाद से उसका घर फोन करना धीरे – धीरे कम होता गया और 26 अक्टूबर से उसका संपर्क अपने परिवार से पूरी तरह से टूट गया.

उसके पिता, बिलाल अहमद सोफी अपने मोहल्ले में एक जनरल स्टोर चलाते हैं और मां एक गृहिणी है. इस सप्ताह की शुरुआत में उसके परिवार के सदस्यों ने श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव में धरना देकर राज्यपाल एस. पी. मालिक से इस मामले में हस्तक्षेप करने और अपने खोये हुए बेटे को ढूढने में मदद देने का अनुरोध किया था.

एक पारिवारिक सूत्र ने बताया, “इस खबर ने उन्हें (एहतिशाम के परिवार को) तोड़कर रख दिया है. पिछले महीने उसके गायब होने के बाद से उसकी मां अवसाद में चली गयी है. और अब, उसके पिता भी अपने बेटे के खो जाने को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं.”

यह पहला वाकया नहीं है जब उत्पीड़न के शिकार किसी कश्मीरी युवा ने हथियार थामा हो. बुरहान वानी, जिसके 2016 में मारे जाने के बाद बड़े पैमाने पर जनाक्रोश भड़का था, भी सुरक्षा बलों की ज्यादतियों का शिकार हुआ था. उसके पिता मुज़फ्फर वानी कहते हैं कि ज्यादतियों ने उसे दहशतगर्दी में शामिल होने के लिए मजबूर किया.

यो तो तथाकथित इस्लामिक स्टेट का कश्मीर में कोई आधार नहीं है, लेकिन इस संगठन ने हाल में कम से कम तीन हमलों की जिम्मेदारी ली है. दहशतगर्दी में शामिल होने के इच्छुक निराश युवाओं के लिए यह सबसे पसंदीदा संगठन बन गया है.

इस्लामिक स्टेट अपना कैडर नब्बे के दशक में कश्मीर में दहशतगर्दी की शुरुआत के समय से सक्रिय रहे तहरीक – उल – मुजाहिदीन नाम के संगठन से लेता है.

तथाकथित इस्लामिक स्टेट द्वारा कश्मीर में अपनी मौजूदगी की घोषणा करने के बाद, जम्मू – कश्मीर इलाके का इसका पहला मुखिया, सईद ओवैस, 2017 में मारा गया. उसके मारे जाने के बाद, इस संगठन का नेतृत्व मुगीस मीर ने संभाला. पिछले साल सुरक्षा बलों ने उसे भी मार गिराया.

मुगीस के मारे जाने के बाद, श्रीनगर का ईसा फाज़ली नाम का अन्य नौजवान, जोकि बाबा ग़ुलाम शाह बादशाह यूनिवर्सिटी में बी. टेक का छात्र था, अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर इस संगठन में शामिल हुआ. पिछले साल मुठभेड़ में वह मारा गया.

आईएसआईएस ने एक बयान, जिसे इस प्रतिबंधित संगठन की आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट किया गया था, में मुगीस और ईसा को अपना आदमी माना था.
 

Similar News

Kashmir Waits For the Verdict