मासूम हिबा निसार अब देख सकेगी
रबर की गोलियों से क्षतिग्रस्त इस बच्ची की आंख का आपरेशन सफल
महज 19 महीने की मासूम हिबा निसार, जिसकी आंखों में रबर की गोली लगने की घटना की खासी आलोचना हुई थी, का आपरेशन सफल रहा. उसका इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि जल्द ही वह अपनी घायल आंख से देख सकेगी.
एसएमएचएस अस्पताल, जहाँ हिबा का इलाज चल रहा था, में नेत्ररोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. तारिक कुरैशी ने बताया, “यह कुल ढाई घंटे की प्रक्रिया थी. गोली उसकी दाहिनी आंख में फंसी थी, जिसे हमारे डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक निकाल दिया. अब उसके माता – पिता को सावधानी बरतनी होगी ताकि उनकी आंखों में किसी किस्म का संक्रमण न हो.”
डॉ कुरैशी ने आगे बताया, “एक या दो महीने में दवा एवं नियमित जांच के बाद वह बिल्कुल ठीक हो जायेगी.”
दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले की निवासी हिबा पिछले 25 नवम्बर को आंख में रबर की गोली लगने से उस समय घायल हो गयी थी, जब आंसू गैस से होने वाली घुटन की वजह से सिरदर्द की शिकायत पर उसकी मां उसे घर के बाहर खुली हवा में ले जा रही थी.
उसके गांव के निकट एक मुठभेड़ के बाद उभरे जनाक्रोश को दबाने को लिए पहुंचे सुरक्षा बल के जवानों को प्रदर्शनकारियों को तितर – बितर करने के आंसू गैस के गोलों एवं रबर की गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ा था. इस साल के सबसे घातक मुठभेड़ों में से एक रहे उस मुठभेड़ में छह हथियारबंद लोग मारे गये थे.
हिबा के घर में गिरे आंसू गैस के गोलों की वजह से सांस लेना मुश्किल हो रहा था. लिहाजा उसे और उसके पांच – वर्षीय भाई को उसकी मां, मर्सला जान, बाहर ले जा रही थी. ज्योंहि उनलोगों ने घर के बाहर कदम रखा, सुरक्षा बल के जवानों ने रबर की गोलियां दाग दीं,
मर्सला ने बताया,” मैंने अपने हाथो से हिबा के चेहरे को ढंक लिया और अपने बेटे को अपने पीछे छुपा लिया. रबर की तीन गोलियां मेरे हाथो से टकरायीं, लेकिन एक गोली मेरे हाथो के आवरण से बचती हुई उसके आंखों में जा लगी.
इस घटना के बाद, हिबा रबर की गोलियों का शिकार होने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची बन गयी. यही नहीं, वह रबर की गोलियों की भयावहता को सहने वाले लोगों का प्रतीक बन गयी. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, बीते तीन सालों में रबर की गोलियों से तकरीबन 1500 लोगों की आंखें क्षतिग्रस्त हुईं हैं.
दाहिनी आंख पर बंधी पट्टियों के साथ हिबा की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. छर्रों से आंख में छिद्र हो जाने के कारण एसएमएचएस अस्पताल में 26 नवंबर को उसकी सर्जरी की गयी थी.
बीते बुधवार को हिबा को दूसरी बार सर्जरी से गुजरना पड़ा और उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि उसका इलाज लंबा चलेगा और लंबे समय तक दवाइयां चलेंगी. एसएमएचएस अस्पताल के एक अन्य डॉक्टर ने बताया, “उसकी आंख को बचा लिया गया है. लेकिन उसे पूरी तरह ठीक होने में समय लगेगा और इस दौरान बेहद सावधानी बरतने की जरुरत होगी.”