जम्मू – कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने अनंतनाग से पर्चा भरा

विशेष दर्जा के राग के सहारे महबूबा मुफ़्ती

Update: 2019-04-04 15:02 GMT

जम्मू – कश्मीर की भूतपूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने 3 अप्रैल को राज्य के सबसे संवेदनशील संसदीय क्षेत्र अनंतनाग से अपना पर्चा भरा. हालांकि उनकी पार्टी ने “चुनाव में गड़बड़ी के प्रयासों” की आशंका जताते हुए राज्य चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है.

महबूबा मुफ़्ती की सीधी टक्कर जम्मू – कश्मीर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी. ए. मीर और नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी के साथ है. श्री मीर ने भी दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग शहर में उपायुक्त कार्यालय में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है.

संवाददाताओं से बात करते हुए पीडीपी की मुखिया ने कहा, “वर्ष 1947 के विभाजन के बाद जम्मू – कश्मीर का भारतीय संघ में विलय ‘विशेष शर्तों’ पर हुआ था. अगर इन शर्तों को समाप्त किया जाता है, तो विलय भी निरस्त हो जायेगा.”

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हालिया बयान पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, “वर्ष 2020 में जम्मू – कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रह जायेगा.” श्री शाह ने हाल में एक बयान में कहा था कि 2020 में राज्यसभा में बहुमत प्राप्त होने के बाद उनकी पार्टी अनुच्छेद 35 – A को समाप्त कर देगी.

डॉ. कर्ण सिंह पर निशाना साधते हुए सुश्री मुफ़्ती ने कहा कि विलय की शर्तें उनके पिता, महाराजा हरि सिंह और देश के तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व के बीच तय हुई थी.

केंद्र की वजह से ही जम्मू – कश्मीर को विशेष दर्जा मिल पाने संबंधी डॉ. कर्ण सिंह के दावे का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “खुद कर्ण सिंह के पिता ने अनुच्छेद 370 की नींव रखी थी. लेकिन आज वो एक अलग ही राग अलाप रहे हैं.”

दरअसल, राज्य में आगामी 11 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनावो में जम्मू – कश्मीर का विशेष दर्जा एक गर्म राजनीतिक मुद्दा बन गया है. लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 11 अप्रैल को उत्तरी कश्मीर के बारामूला और जम्मू संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले जायेंगे.

श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से दुबारा चुनाव लड़ रहे नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्लाह ने भी जम्मू – कश्मीर के विशेष दर्जा के प्रावधानों में किसी किस्म की “सेंध” के बारे में केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा कि इससे विलय पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जायेगा.

इस बीच, पीडीपी ने राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखकर “चुनाव में घालमेल और गड़बड़ी” के प्रयास किये जाने की आशंका जतायी है. ऐसा पीडीपी के कतिपय नेताओं की सुरक्षा कथित रूप से हटाये जाने के बाद किया गया है.

किसी का नाम लिए बगैर, पीडीपी के चुनाव प्रभारी और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने पत्र में चेतावनी दी है कि "बुनियादी सुरक्षा चिंताओं के मामले में चुनिंदा रवैया अपनाये जाने का सीधा अर्थ हमारे नेता व कार्यकर्ताओं को समान अवसर से वंचित कर रणनीतिक धांधली के जरिए चुनाव परिणामों को प्रभावित करना है.”

पत्र में आगे कहा गया है कि “इससे पूरी चुनावी प्रक्रिया पर एक बड़ा संशय खड़ा होगा. इतिहास गवाह है कि राज्य को सबसे ज्यादा खामियाजा चुनावों की विश्वसनीयता के साथ समझौता किये जाने के कारण उठाना पड़ा है. सरकारी एहसानों के तले दबे रहने वाले अधिकारियों के जरिए एक बार फिर से इस किस्म का प्रयास करने से राज्य और राष्ट्र के हितों पर दोबारा खतरा होगा.”
 

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