पांच सितंबर शिक्षक दिवस पर विशेष

SIR नाम से विख्यात वाहिद चोहान-जिसने महिलाओं का जीवन बदल कर रख दिया।

Update: 2018-09-05 12:37 GMT

विषय के शिक्षक ना होते हुये भी घर घर की बालिकाओं व महिलाओं के मुह से SIR नाम से पुकारे जाने वाले मुम्बई प्रवासी व सीकर निवासी वाहिद चोहान ने सीकर में शुरुआती दौर मे ऐक्सीलैंस स्कूल खोला। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए फिर कालेज स्तर का शैक्षणिक इदारा कायम किया और यह खासतौर पर शैक्षणिक तौर पर पिछड़े मुस्लिम समुदाय की बालिकाओं को अंग्रेजी माध्यम से ताकत देने के लिए किया। अपने स्तर पर हर साल करोड़ो रुपये खर्च करके सभी आवश्यक आधुनिक सुविधाओं युक्त खुले खेल मैदान व भवन के साथ आलातरीन मापदण्ड वाली फेकेल्टीज के मार्फत पिछले तीस साल से पूरी तरह मुफ्त शिक्षा देने का यह जो पुख्ता इंतेजाम करके सामाजिक बदलाव का काम शूरु किया था वो बदलाव का काम अब जाकर लगभग पूरा होने को है।


सीकर मे कायम ऐक्सीलेंस नामक शैक्षणिक इदारे की छात्रा रही डा.परवीन कायमखानी ने बताया कि महिलाओं के जीवन में सही दिशा में सुचारू रुप से परिवर्तन लाने में माता-पिता दोनों का आला तालीम याफ्ता होना काफी सहायक माना जाता है। आज के तीस-चालीस साल पहले मुस्लिम समुदाय के अधिकांश परीवारो में माता-पिता दोनों का अनपढ़ होना या फिर पिता का मामूली पढ़ा लिखा होना पाया जाता था। लेकिन बच्चे की ठीक से परवरिश व उसे शैक्षणिक तौर पर मजबूत करके एक्सलेंट बनाने में माता का अच्छे स्तर पर पढा हुआ आवश्यक माने जाने की पूर्ति सीकर के ऐक्सीलेंस नामक तालीमी इदारे ने काफी हद तक पूरी की है। उन पढ़ी हुई बालिकाओं के शादी होने के बाद एक मॉ के रुप मे आने के बाद अब जाकर उनके असल शिक्षक वाहिद चोहान द्वारा ऐक्सीलेंस स्कूल/कालेज के मार्फत दी गई तालीम का असर भरपूर देखने को मिल रहा है। अब पति-पत्नी दोनो अच्छे स्तर के पढ़ेलिखे होने के कारण आपसी तालमेल ठीक से बैठने का नतीजा यह निकल रहा है कि बच्चे एक्सलेंट साबित हो रहे है। यह वास्तविक बदलाव वाहिद चोहान की कोशिशों व उनके द्वारा करोड़ों रुपया अपने निजी सरमाया मे से निकाल कर हर साल बालिकाओं की तालीम पर खर्च पर करने से ही आया है। इसलिये सीकर की बालिकाओं के वास्तविक शिक्षक सर नाम से आम बालिकाओं व महिलाओं की जबान पर रट चुके वाहिद चोहान को ही माना जायेगा।

क्षेत्र की अधिकांश महिलाओं व छात्राओं की जुबां से वाहिद चोहान सर का नाम "शिक्षक" के रुप मे निकलना असल में उनके लिए अधिक ताकत व लम्बी उम्र देने की दुवाएं होती है।

Similar News

The Casting Couch Syndrome

Claiming The Night

Is Fear A Gender Issue?

The Gender Of A Vote