घट रही है राज्यसभा के लिए गरीब और शरीफ उम्मीदवारों की पूछ
आपराधिक और आर्थिक हैसियत वालों की संख्या “उच्च” सदन में बढ़ रही है
उत्तर प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपनाये गये तिकड़मों की वजह से राज्यसभा के हाल के चुनाव भले ही चर्चा में रहे हों, लेकिन राज्यसभा के कुल 233 में से 229 सदस्यों द्वारा चुनाव के समय दाखिल शपथ – पत्रों में दी गयी जानकारियां भी खासी रोचक हैं. इन जानकारियों के मुताबिक संसद का उच्च सदन कहलाने वाला राज्यसभा अब आपराधिक मामलों और आर्थिक हैसियत के लिहाज से सचमुच “उच्च” सदन बनता जा रही है.
नेशनल इलेक्शन वाच एव एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने राज्यसभा के 233 में से 229 सांसदों द्वारा शपथ – पत्रों में दी गयी जानकारियों का अध्ययन किया है.
जहां तक राज्यसभा सांसदों के आर्थिक हैसियत का सवाल है, कुल 229 में से 201 (88 प्रतिशत) राज्यसभा सांसद करोड़पति हैं. राज्यसभा सांसदों के पास औसतन 55.62 करोड़ रूपए की संपत्ति है. कुल 84 (37 प्रतिशत) राज्यसभा सांसदों के पास 10 करोड़ रूपए या उससे अधिक की संपत्ति है. इसके अतिरिक्त, 36 प्रतिशत राज्यसभा सांसदों के पास एक करोड़ से पांच करोड़ रूपए तक की संपत्ति है. यानि, एक करोड़ से पांच करोड़ रूपए तक की संपत्ति वाले 83 राज्यसभा सदस्य हैं. राज्यसभा में पांच करोड़ रूपए से 10 करोड़ रूपए तक की संपत्ति वाले 34 (15 प्रतिशत)सदस्य हैं.कुल 23 (10 प्रतिशत) सदस्यों के पास 20 लाख रूपए से एक करोड़ रूपए तक की संपत्ति है.
मात्र 5 सदस्यों (2 प्रतिशत) के पास 20 लाख रूपए से कम की संपत्ति है.
पार्टीवार अगर देखें तो राज्यसभा सांसदों के आर्थिक हैसियत की कहानी बेहद दिलचस्प है. गरीबों के हितों की रहनुमाई करने और एक चाय बेचने वाले को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के 91 प्रतिशत राज्यसभा सांसद करोड़पति हैं. मतलब भाजपा के 64 राज्यसभा सदस्यों में से 58 करोड़पति हैं. कांग्रेस पार्टी का भी मामला कुछ खास अलग नहीं है. उसके 92 प्रतिशत राज्यसभा सदस्य करोड़पति वर्ग से हैं. संसद के उच्च सदन में पार्टी के कुल 50 में से 46 सदस्य करोड़पति हैं. अन्नाद्रमुक के 13 में से 12 (92 प्रतिशत) सदस्यों ने अपनी संपत्ति एक करोड़ रूपए से अधिक घोषित की है.
अध्ययन का एक चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि राम मनोहर लोहिया के समाजवादी विचारों को आगे बढ़ाने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी के 14 राज्यसभा सदस्यों की औसतन संपत्ति 92.68 करोड़ रूपए की है. “कांग्रेस का ‘हाथ’, गरीबों के साथ” का नारा देने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी के 50 राज्यसभा सदस्यों के पास जहां औसतन 40.98 करोड़ रूपए की संपत्ति है, वहीँ “नया भारत” बनाने के दावा करने वाली भाजपा के 64 राज्यसभा सांसदों के पास औसतन 27.80 करोड़ रूपए की संपत्ति है.तृणमूल कांग्रेस के 13 राज्यसभा सदस्यों ने औसतन 12.22 करोड़ रूपए की संपत्ति घोषित की है.
सबसे अधिक संपत्ति रखने वाले राज्यसभा के तीन सांसदों में से दो बिहार के हैं और एक उत्तर प्रदेश से ! बिहार से जद (यू) के टिकट पर जीते राज्यसभा सदस्य महेंद्र प्रसाद के पास कुल 4078 करोड़ रूपए से अधिक की चल और अचल संपत्ति है. उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन कुल 1001 करोड़ रूपए से अधिक की चल और अचलसंपत्ति की मालकिन हैं. 857 करोड़ रूपए से अधिक की चल और अचल संपत्ति के साथ बिहार से भाजपा के राज्यसभा सदस्य रवीन्द्र किशोर सिन्हा तीसरे स्थान पर हैं.
तीन राज्यसभा सदस्यों ने 7 लाख रूपए से भी कम की चल और अचल संपत्ति घोषित की है. पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा के सदस्य अहमद हसन और बीजू जनता दल की टिकट पर उड़ीसा से चुनकर आये राज्यसभा सांसद अच्युतानंद सामंता के पास कुल 4 लाख से अधिक की चल और अचल संपत्ति है.
रोचक तथ्य यह है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने 6 लाख रूपए से अधिक की चल संपत्ति घोषित की है, लेकिन अचल सम्पत्ति के नाम पर उनके पास शून्य है !
राज्यसभा के 229 सदस्यों में से 154 (64 प्रतिशत) के सिर पर देनदारियों का बोझ है. महाराष्ट्र से निर्दलीय राज्यसभा सांसद संजय दत्तात्रेय काकडे ने 304 करोड़ रूपए से अधिक की देनदारी घोषित की है. आंध्रप्रदेश से कांग्रेस के सांसद टी सुब्बीरामी रेड्डी के सिर पर 173 करोड़ रूपए से अधिक की देनदारी है. समाजवादी पार्टी की जया बच्चन भी 105 करोड़ रूपए से अधिक की देनदार हैं.
वित्तीय वर्ष 2016 – 17 के दौरान सबसे अधिक आमदनी जद (यू ) के महेंद्र प्रसाद ने अर्जित की. इस अवधि में उन्होंने खुद की आमदनी 303 करोड़ रूपए से अधिक की घोषित की है.इसी तरह, पश्चिम बंगाल से जीतकर आये कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की खुद की आमदनी इस अवधि में 130 करोड़ रूपए अधिक की रही.
अध्ययन के मुताबिक, राज्यसभा के 229 सांसदों में से 51 (21 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले है.यही नहीं, संसद के उच्च सदन के 20 (9 प्रतिशत) सदस्यों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले है. महाराष्ट्र से शिव सेना की टिकट पर राज्यसभा सदस्य बने राजकुमार नन्दलाल धूत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का मामला है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो राज्यसभा सांसदों – बिहार के गोपाल नारायण सिंह और महाराष्ट्र से जीते वी. मुरलीधरन - के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का मामला है.
सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों का अगर पार्टीवार आंकड़ा देखा जाये, तो ‘चाल, चरित्र और चेहरा’ का नारा देने वाली भाजपा के 22 प्रतिशत राज्यसभा सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले है. यानी भाजपा के कुल 64 राज्यसभा सदस्यों में से 14 के खिलाफ आपराधिक मामले है. भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक पार्टी के कुल 13 राज्यसभा सदस्यों में से 4 (31प्रतिशत) ने अपने खिलाफ चलने वाले आपराधिक मामलों की जानकारी दी है.जबकि बाहुबलियों को प्रोत्साहित करने का आरोप झेलने वाली समाजवादी पार्टी के कुल 14 राज्यसभा सदस्यों में से 3 (21 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले है. कांग्रेस पार्टी के कुल 50 राज्यसभा सदस्यों में से 8 (16 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ चलने वाले आपराधिक मामलों के बारे में बताया है.
तृणमूल कांग्रेस के 13 में से सिर्फ 1 राज्यसभा सदस्य के खिलाफ आपराधिक मामले हैं.
गंभीर आपराधिक मामलों के बारे में क्षेत्रीय दलों का रिकॉर्ड जरा गंभीर है. राजद के कुल 5 में से 2राज्यसभा सदस्यों (40 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं. बीजू जनता दल के 9 में से 1 (11 प्रतिशत) राज्यसभा सदस्य के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं.समाजवादी पार्टी के 14 राज्यसभा सदस्यों में से 1 (7 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है.
उधर, राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस के कुल 50 राज्यसभा सदस्यों में से 5 (10 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं.जबकि भाजपा के 64 में से 4 (6 प्रतिशत) राज्यसभा सदस्यों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं.
राज्यसभा सदस्यों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों के बारे में राज्यवार आंकड़ों का जहां तक सवाल है, तो बिहार के 15 में से 7 (47 प्रतिशत) राज्यसभा सांसदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं. भाजपा शासित महाराष्ट्र से आने वाले 19 राज्यसभा सांसदों में से 8 (42 प्रतिशत) ने अपने खिलाफगंभीर आपराधिक मामलोंके आरोपों के बारे में बताया है.भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक के शासन वाले तमिलनाडु के 33 प्रतिशत राज्यसभा सांसदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों के आरोप हैं. यानि 18 राज्यसभा सदस्यों में से 6 के खिलाफ आपराधिक मामलों के आरोप हैं. पिछले 15 वर्षों से भाजपा शासित मध्यप्रदेश में 11 राज्यसभा सांसदों में से 3 (27 प्रतिशत) गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
नेशनल इलेक्शन वाच एव एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स राज्यसभा के कुल 233 में से3 सदस्यों के शपथ – पत्रों का अध्ययन नहीं कर पाया. तेजतर्रार भूतपूर्व नौकरशाह और अब भाजपा की टिकट पर राजस्थान से राज्यसभा सदस्य बने और नरेन्द्र मोदी मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे के. जे. अलफोंस का शपथ – पत्र उपलब्ध नहीं था. केरल से सीपीएम के सदस्य के. के. रागेश का शपथ – पत्र अधूरा था. झारखंड से कांग्रेस के सांसद धीरज प्रसाद साहू के शपथ – पत्र की साफ़ –सुथरी स्कैन प्रति नहीं मिलने की वजह से नेशनल इलेक्शन वाच एव एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स उसका अध्ययन नहीं कर पाया.