सीबीआई के हवाले अरुणाचल प्रदेश के पूर्व विधायक की मौत की जांच
न्गुरंग पिंच की मौत को “सुनियोजित हत्या” बताया परिजनों ने
अरुणाचल प्रदेश के भूतपूर्व विधायक न्गुरंग पिंच की रहस्यमय परिस्थिति में हुई मौत के आठ महीने के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है.
राज्य के दोइमुख विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक और अरुणाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष रहे न्गुरंग पिंच कथित रूप से राज्य की राजधानी के निकट पापम और पोमा नदियों के संगम के पास से उस समय गायब हो गये थे जब वो पिछले साल नवम्बर में वहां एक राफ्टिंग अभियान पर गये थे. बाद में कथित रूप से उनका शव अभियान के अन्य सदस्यों, जिनमें पूर्व विधायक अतम वेली और किपा टाटर शामिल थे, द्वारा पाया गया.
उनकी मौत के बाद से, उनका परिवार अभियान के अन्य सदस्यों पर सुनियोजित तरीके से उनकी हत्या करने का आरोप लगाता रहा है. उनका यह भी आरोप है कि उनकी हत्या राजनीतिक कारणों से की गयी है.
पिंच की बड़ी बेटी, मीना, ने दावा किया था कि परिवार के पास राफ्टिंग अभियान से जुड़े लोगों के पर्याप्त बयान वीडियो में दर्ज हैं जो इस बात का संकेत देते हैं कि वह “101 प्रतिशत एक राजनीतिक हत्या” थी.
उनका यह भी कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट अनुसार उनके पिता के शरीर में बेहद कम पानी की मात्रा पायी गयी थी और इससे डूबने की वजह से मौत होने की संभावना ख़ारिज होती है. परिवार की शिकायत के बाद, राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की थी. लेकिन बाद में, पहली वाली एसआईटी को भंग कर एक नयी एसआईटी गठित की गयी थी.
इस साल जनवरी में, राफ्टिंग अभियान में शामिल तीन लोगों – न्गुरंग अभरम, न्गुरंग नेगा और न्गुरंग तोंग्के – को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन वेली और टाटर को छोड़ दिया गया.
इन गिरफ्तारियों के बावजूद, पिंच के परिवार के लोग संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने एसआईटी एवं राज्य सरकार पर निष्प्रभावी और आलसी होने का आरोप लगया था. वे इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए राज्य सरकार से आवश्यक कदम उठाने की मांग कर रहे थे.
कुछ समय पहले, वेली और टाटर ने कहा था कि इस हत्या में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. पिंच की 26 वर्षीया छोटी बेटी रीना, जो दिल्ली के मिरांडा हाउस में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, ने इस साल मई में मुख्यमंत्री पेमा खांडू को पत्र लिखकर दोनों एसआईटी पर इस मामले में कोई खास प्रगति न कर पाने का आरोप लगाया था.
बढ़ते दबावों और तहकीकात के बेअसर होने के मद्देनजर, राज्य सरकार ने अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है.
राज्य के गृह आयुक्त ए सी वर्मा ने 13 जुलाई को सीबीआई निदेशक को पत्र लिखकर बताया कि “सात महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद जांच में कुछ खास नहीं निकल पाया है.”
राज्य सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए, पिंच की बड़ी बेटी मीना ने इसे एक “बड़ा कदम” बताया. उन्होंने कहा कि लोगों को उस समुदाय और कबीले के सदस्यों को समर्थन देना बंद कर देना चाहिए जो “इस अपराध में शामिल” थे.
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के युवाओं को “सरकार से नक्कारेपन के लिए सवाल करते रहना चाहिए” और “ये हम ही हैं जो उन्हें ऐसा करने की छूट देते हैं”.
पीछे साल सितम्बर में तवांग में 17 वर्षीय किशोर तोको यामे की मौत और पिछले ही साल जून में एक हमले में हुई भूतपूर्व छात्र नेता ओजिंग तयिंग की मौत के बाद यह तीसरा ऐसा मामला है जिसे हाल के सप्ताहों में राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच के लिए सौंपा है.