एक नवजवान की चिट्ठी प्रधान सेवक के नाम
एक नवजवान की चिट्ठी प्रधान सेवक के नाम
प्रिय स्वयं सेवक
बचपन से धर्म और राष्ट्र के लिए आपके समर्पण की कहानी सुनते सुनते ये समझ आ गया कि आपकी भक्ति देशवासियों के खिलाफ हिंसक गतिविधियों की तरफ आपको ले जाएगी। एक खास तरह की घृणा जो आपके माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रही है उसका अंजाम विकृत और घृणित पीढ़ी के रूप में हमारे सामने आना ही था।
स्वदेशी से लेकर धर्म रक्षा के नाम पर आपके आंदोलनों की कलई आपकी गुजरात मॉडल सरकार ने खोल कर रख दी। स्वदेशी के नाम पर चले आपके आंदोलन ने देश को स्वयं के पैरों पर खड़ा होने का जो सपना दिखाया उसको एफडीआई ने मटिआमेट कर दिया इस पर आपकी चुप्पी ने यह साबित कर दिया कि यह सिर्फ एक कॉन्सपिरेसी थी। जिसने विदेशी पूंजी के खिलाफ खड़े होने वाले आंदोलनों को कमजोर किया और सरकार में आते ही आपने एफडीआई पर सरकार का समर्थन कर इसको हर क्षेत्र में लागू कराया। यही हाल धर्म को सांप्रदायिक रूप देकर आपने धर्म के साथ भी धोखा धड़ी की।
अगर यह मान लिया जाए कि धर्म सबको प्रेम और समानता का अधिकार देता है तब आपके द्वारा बनाई गई तमाम धर्म रक्षा टोलियों ने क्यों अराजकता का माहौल बना रखा है। गौहत्या, लव जिहाद, मंदिर निर्माण जैसे मुद्दे पर आपके आंदोलन सिर्फ घृणा फैलाने का काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर गौहत्या के नाम पर हिंसा तो करते हैं पर देश में चल रहे स्लाटर हाउसों के खिलाफ कभी आंदोलन नही करते ।इसका कारण सिर्फ इतना है कि इन स्लाटर हाउसों के अरबपति मालिको में सिर्फ और सिर्फ आपकी कृपापात्र पार्टी से जुड़े लोगों की संख्या का अधिक होना है।
प्रेम में आपको लव जिहाद दिखता है वो भी तब जब लड़का अल्पसंख्यक समुदाय का हो ।बहुसंख्यक होगा तो घर वापसी का नाम दिया जाएगा। इसमे भी अगर आपकी पार्टी से जुड़ा व्यक्ति होगा या पूंजीपति होगा तो प्रेम विवाह मान लिया जाएगा किंतु गरीबों के खिलाफ आप हमलावर हो जाएंगे।
बात मंदिर निर्माण की होगी तो आपका खून खौल जाता है पर जिस समुदाय के खिलाफ आप प्रचार प्रसार करते हैं उसने मंदिर न बनने देने की बात कभी नही की। वो तो सिर्फ गैर कानूनी तौर पर मस्जिद पर हमला करके उसको तोड़ने को लेकर इंसाफ की बात करता है। वो भी देश की अदालत से ना कि सड़क पर उतर कर हिंसा फैलाता है या दूसरे धर्म के खिलाफ आंदोलन करता है। लेकिन गुजरात से लेकर काशी तक आपकी चहेती सरकार सैकड़ों प्राचीन मंदिर विकास के नाम पर ढहा देती है और आपकी आवाज तक नही निकलती है क्या इस पर आपका खून नही खौलता।
आपने इस देश की खूबसूरती और आपसी प्रेम को तबाह करने का प्रयास किया क्या इसको राष्ट्रद्रोह नही माना जाना चाहिए। बात बात पर पाकिस्तान से लेकर पता नही कहाँ कहाँ का उदाहरण लेकर खड़े हो जाते है पर एक छोटी सी बात आपकी समझ में नही आती कि आप जिनका अनुसरण करते है उन्होंने अपने मुल्क को बर्बाद कर दिया है।
मैं अपनी बात से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जिस संविधान के खिलाफ आप जनमत बनाने का प्रयास कर रहे हैं वह इस देश की आत्मा है और कोई भी शरीर आत्मा के बिना जीवित नही रह सकता। आपने इस देश की कई पीढ़ियों को नफरत और घृणा से बर्बाद कर दिया है कम से कम इस देश को जिंदा रहने दीजिए जिसको आपने माँ का दर्जा दिया है ।उसी की आत्मा के खिलाफ षड्यंत्र करना बंद करिये।
घृणा और नफरत का कारोबार आपको सत्ता सुख और आर्थिक लाभ तो दे सकता है लेकिन इस देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए जिसमे आपके भी बच्चे होंगे, उनको एक ऐसा गैरसंवेदनशील, अराजक और घृणित समाज देगा जिसकी कल्पना हम अभी से कर सकते हैं। जहां बात बात पर सामुहिक हत्याएं, साम्प्रदायिक हिंसा, जातिय हिंसा और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की बाढ़ हमें बताती है कि हम एक क्रूर, घृणित और नफरत में जीने वाले समाज के तौर पर बदलते जा रहे हैं जहां असहमति का मतलब सिर्फ और सिर्फ हत्या है।
अंत मे हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम इस देश को ऐसे तबाह नही होने देंगे जैसे आप करना चाहते हैं। यह संविधान से ही चलेगा और इसके लोकतंत्र को बचाने के लिए हम जैसे लाखों नवजवान अपने पुरखों की तरह ही डट कर इसको नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ खड़े रहेंगे।