इस रामराज्य की दुखी जनता
इस रामराज्य की दुखी जनता
प्रधानमंत्री, अन्य मंत्रियों, सरकारी प्रवक्ता या शासक दल के छुटभैये नेता की बातें सुनने पर यही लगता है कि देश में रामराज्य है, कोई समस्या नहीं है, किसी चीज की कोई कमी नहीं है. पर आश्चर्य की बात यह है, सरकारी तंत्र के झूठ पर टिके इस रामराज्य में लोग खुशहाल नहीं हैं. हाल में प्रकाशित ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स २०१८ के अनुसार कुल १५६ देशों की सूचि में भारत १३३वें स्थान पर है, यानि १३२ देश हमारे मुकाबले अधिक खुश है, जबकि इन देशों में रामराज्य का दावा कोई नहीं करता.
भारत वर्ष २०१७ में १२२वें स्थान पर था और वर्ष २०१६ में ११८वें स्थान पर. इसका सीधा सा मतलब है कि हमारी खुशहाली लगातार कम हो रही है. हालत तो यहाँ तक पहुँच गयी है कि अफगानिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देश हमसे अधिक खुशहाल हैं. बात-बात में बीजेपी समर्थक और नेता जिस पाकिस्तान भेजने की बात करते हैं, वह ७५वें स्थान पर है. नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश और मयन्मार क्रमशः १०१वें, ९७वें, ११६वें, ११५वें और १३०वें स्थान पर हैं. अफगानिस्तान १४५वें स्थान पर है.
ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र की संस्था सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोल्यूशन्स नेटवर्क द्वारा प्रकाशित किया जाता है और इसका आधार सकल घरेलू उत्पाद, सामाजिक सहयोग, स्वस्थ्य जीवन अनुमान, सामाजिक स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति है.
इंडेक्स के अनुसार फ़िनलैंड दुनिया का सबसे खुशहाल देश है. महज ५५ लाख की आबादी वाला देश, फ़िनलैंड, को सबसे शांत, सुरक्षित, सुशासित, भ्रष्टाचार-विहीन और सामाजिक तौर पर सशक्त माना गया है. पिछले वर्ष यह ५वें स्थान पर था. फ़िनलैंड की पुलिस सबसे भरोसेमंद है और बैंक सबसे सुरक्षित. प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के सन्दर्भ में यह दूसरे नोर्डिक देशों से कुछ पीछे है.
फ़िनलैंड के बाद दूसरे ९ देश हैं – नोर्वे, डेनमार्क, आइसलैंड, स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया हैं. इंडेक्स में सबसे ऊपर के चारों देश नोर्डिक देश हैं और आय, स्वस्थ्य लीवन अनुमान, सामाजिक सहयोग, आजादी, भरोसा और उदारता के सन्दर्भ में बहुत आगे हैं. इन देशों में कर की दरें विश्व के अन्य देशों की तुलना में ज्यादा हैं, पर इन देशों के निवासी कर को अपने सुख और सुविधा के लिए निवेश मानते हैं. इन देशों में स्वास्थ सेवाएँ और विश्वविद्यालय शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त है.
सबसे अधिक सकल घरेलू उत्पाद के बाद भी अमेरिका इस इंडेक्स में लगातार पीछे होता जा रहा है. इस बार अमेरिका १८वें स्थान पर है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ५ स्थान नीचे है. यहाँ खुशहाली में पिछड़ने का बड़ा कारण मोटापा, नशा और तनाव है. इंग्लैंड १९वें स्थान पर है – जर्मनी, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया इंडेक्स में इससे ऊपर के स्थ्हन पर हैं जबकि फ्रांस और स्पेन इससे पीछे है,
पूर्वी अफ्रीका का देश, बुरूंडी, इस इंडेक्स में सबसे नीचे यानि १५६ वें स्थान पर है. इसका कारण जातिगत मतभेद, जनयुद्ध और तख्ता पलट का लगातार प्रयास है. इसके ऊपर के ९ देश क्रम से हैं – सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, साउथ सूडान, तंजानिया, यमन, रवांडा, सीरिया, लाइबेरिया, हैती और मलावी. टोगो, पश्चिम अफ्रीका का ऐसा देश है जो २०१५ में सबसे नीचे के स्थान पर था, पर अब १८ पायदान ऊपर पहुँच गया है.
अधिकतर लैटिन अमेरिकी देश गरीब, भ्रष्ट, हिंसा, अपराध, असमानता इत्यादि के बाद भी अपेक्षाकृत ऊपर के स्थान पर है, इसका कारण है वहाँ का पारिवारिक सहयोग और सामाजिक ताना-बाना.
इस वर्ष ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स में पहली बार विस्थापितों की खुशहाली को भी शामिल किया गया है. इस सन्दर्भ में भी फ़िनलैंड सबसे ऊपर है. वर्तमान में सबसे बड़ा विस्थापन लगभग ८ वर्ष पहले चीन के ग्रामीण इलाकों से नागरिकों का शहरी क्षेत्रों में विस्थापन को माना जाता है. सामान्य धारणा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले जब शहरी क्षेत्रों में बसते है तो खुशहाली का स्तर बड़ा हो जाता है, पर इंडेक्स के अनुसार, चीन के गाँवों के लोग शहर में आने के पहले अधिक खुश थे.
इंडेक्स से यह स्पष्ट होता है कि अमीरी से खुशहाली का सम्बन्ध नहीं है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक सुरक्षा खुशहाली का सबसे बड़ा कारण है.