प्रसार भारती के सीईओ और चेयरमैन सहित अन्‍य के खिलाफ़ अवमानना याचिका दायर

प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित

Update: 2017-11-12 12:39 GMT

जबलपुर/दिल्‍ली: प्रसार भारती के सीईओ व अन्य के खिलाफ़ जबलपुर हाइकोर्ट में अदालत की अवमानना की याचिका कम्पीयर्स व अनाउंसर द्वारा दायर की गई है। इस याचिका की सुनवाई 10 नवंबर को हुई जिसमें हाइकोर्ट ने सात दिनों के भीतर प्रतिवादी को नोटिस को तामील करने को कहा। साथ ही अदालत ने कड़ा रुख लेते हुए याचिकाकर्ता को इस बात के लिए स्वतंत्र किया कि वह प्रतिवादी को हाथों हाथ नोटिस दे और अन्य आवश्यक कदम भी उठाए। इस अवमानना याचिका की अगली सुनवाई 4 दिसंबर, 2017 तय की गई है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता परेश पारीक ने बताया कि जबलपुर हाइकोर्ट ने रिट पिटीशन क्रमांक 10775/2017 में 25-07-2017 के अपने आदेश में प्रसार भारती के दिनांक 21.02.2017 और 18.04.2017 के उन आदेशों पर रोक लगा दी थी जिनमें केजुअल कम्पीयर्स और अनाउंसर की रिस्क्रीनिंग लेने और नये ऑडिशन को कहा गया था। हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद इन आदेशों की प्रक्रिया को रोकने की बजाय प्रसार भारती/ महानिदेशालय आकाशवाणी ने इन दो आदेशों का कड़ाई से पालन करने के लिए अपने केन्द्रों को निर्देशित करना शुरू कर दिया, जिस कारण से कोर्ट की अवमानना का मामला बन गया।

ऑल इंडिया रेडियो केज़ुअल अनाउंसर एंड कम्पीयर यूनियन के अध्यक्ष हरि शर्मा और अधिवक्ता परेश पारीक ने बताया कि प्रसार भारती को यूनियन के द्वारा कई बार इस बाबत आगाह कराया गया और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात कर भी उन्हें बताया गया था कि इससे न्यायालय की अवमानना हो रही है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और आगे उन्होंने मिलने से भी मना कर दिया। मजबूरन यूनियन को न्यायालय की शरण में जाना पड़ा।

प्रसार भारती के विरुद्ध देश के विभिन्न केट न्यायालयों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में मामले लंबित हैं जिनमें केजुअल कम्पीयर्स और अनाउंसर को नियमित करने के भी मामले हैं। प्रसार भारती को आदेशित किया जाता रहा है कि केजुअल कम्पीयर्स और अनाउंसर को नियमित करने की एक योजना बनावे लेकिन प्रसार भारती न्यायालयीन प्रक्रिया का फायदा उठाकर इन मामलों को लटकाए हुए है और इस बीच कोशिश में है कि जब तक अंतिम आदेश आए तब तक उन समस्त केजुअल कम्पीयर्स और अनांउसर को प्रसार भारती से बाहर कर दिया जाए जो इसके हक़दार हैं।

इसी को दृष्टिगत रखते हुए प्रसार भारती ने केजुअल कम्पीयर्स और अनाउंसर की रिस्क्रीनिंग जैसी परीक्षा प्रारंभ की ताकि इस परीक्षा के बहाने इन हक़दार केजुअल कम्पीयर्स और अनाउंसर को बाहर निकाला जा सके। मामले की जानकारी लगते ही केजुअल कम्पीयर्स और अनाउंसर हाइकोर्ट चले गए जहां पर अदालत ने मामले की गंभीरता देखते हुए इस परीक्षा प्रक्रिया पर स्थगन आदेश जारी कर दिया था।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)

Similar News

Uncle Sam Has Grown Many Ears

When Gandhi Examined a Bill

Why the Opposition Lost

Why Modi Won