भीम आर्मी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर को जान का खतरा
इलाहबाद हाईकोर्ट से जमानत के बावजूद आठ महीने से जेल में हैं
मई 2017 से सहारनपुर जिला जेल में बंद भीम आर्मी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर को अपनी जान पर खतरा महसूस हो रहा है. एक युवा नेता के साथ मुलाकात के दौरान उन्होंने यह आशंका जाहिर की. उन्होंने कहा, “ मेरे खिलाफ लगाये गए सभी 27 मुकदमों में मुझे जमानत मिल चुकी है. फिर क्यों मुझे अभी भी जेल में रखा जा रहा है? वे मुझे मार देना चाहते हैं.”
भीम आर्मी के अध्यक्ष से एक संक्षिप्त मुलाकात करने वाले युवा नेता प्रदीप नरवाल ने कहा कि चन्द्रशेखर ने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि “सरकार उसे मारना चाहती है” और उनकी जान को खतरा है. पिछले नवम्बर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चन्द्रशेखर को जमानत दे दी, लेकिन उन्हें रिहा करने के बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका ) के तहत नये आरोप लगाकर जेल में बंद रखा गया है. रासुका में जमानत की अनुमति नहीं है.
बकौल नरवाल चन्द्रशेखर को इस बात से रंज हैं कि स्कूलों में तोड़फोड़ मचानेवालों को तो देशभक्त कहकर सराहा जा रहा है और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले उनके जैसे लोगों को सीखचों के पीछे ठूंसा जा रहा है. नरवाल के मुताबिक दलित नेता ने अपनी टिप्पणी में कहा, “ सरकार भले मुझे मारना चाहती है, लेकिन मैं दलित समुदाय के हक़ और आत्मसम्मान के लिए लड़ाई जारी रखूंगा.”
पेशे से वकील चन्द्रशेखर ने पिछले साल मई में सहारनपुर में दलितों और मुसलमानों के बीच हिंसा कराने की एक साजिश को बेनक़ाब किया था और यह सुनिश्चित किया था कि दोनों समुदाय सड़क पर आकर एक दूसरे से न भिड़ें. नतीजतन, राज्य प्रशासन ने तत्काल उनके खिलाफ गिरफ़्तारी का वारंट जारी कर दिया. कुछ दिनों तक भूमिगत रहने के बाद यह कर्मठ युवा नेता दिल्ली के जंतर – मंतर पर लोगों के सामने आया और एक बड़ी रैली को संबोधित किया. पुलिस ने वहां उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की, बल्कि बाद में उन्हें हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया. सात महीनों तक जेल में रहने के बाद नवंबर 2017 में उन्हें जमानत मिल गयी थी लेकिन रासुका लगाकर उन्हें जेल के अन्दर रखा गया है. अक्टूबर में भीम आर्मी ने यह आरोप लगाया था कि उनके नेता को जेल में मारा – पीटा गया है और वे घायल हैं.
भीम आर्मी के नेता सतीश गौतम ने बताया, “ भाजपा सरकार नहीं चाहती कि चन्द्रशेखर बाहर आयें और दलितों के अधिकार के लिए लड़ें.” उनका कहना था कि चन्द्रशेखर के करिश्माई व्यक्तित्व और उत्तर प्रदेश और दूसरे अन्य राज्यों में मौजूद उनके समर्थकों की भारी तादाद को लखनऊ और केंद्र की सत्ता में काबिज पार्टी एक खतरे के रूप में देखती है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इलाहबाद हाईकोर्ट ने इस बात को भांप लिया कि यूपी पुलिस द्वारा चन्द्रशेखर को कैसे गलत तरीके से हिंसा के आरोप में फंसाया और गिरफ्तार किया गया. यही वजह थी कि उन्हें जमानत मिल गयी. लेकिन भाजपा सरकार को यह रास नहीं आया और उसने सुनिश्चित किया कि वो जेल बाहर न आ पाये. गौतम ने कहा, “रासुका मामला भी ज्यादा देर नहीं चल पायेगा क्योंकि राज्य सरकार द्वारा बदले की नीयत से की गयी कार्रवाई को हाईकोर्ट भांप लेगी.”
सहारनपुर हिंसा से पहले, 2015 से चन्द्रशेखर शिक्षा के माध्यम से दलितों के सशक्तिकरण के काम में लगे थे. उन्होंने भीम आर्मी एकता मिशन की शुरुआत की. यह संगठन आज सहारनपुर में 300 स्कूल चला रहा है. चन्द्रशेखर आजाद रावण के नाम से मशहूर इस 30 वर्षीय युवा नेता के करिश्माई व्यक्तित्व और उसकी तीखी भाषण शैली में लोगों को आकर्षित करने की जबरदस्त क्षमता है. दिल्ली में रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने नारा दिया था, “ मेरे साथ कहो, हम इस देश के शासक हैं.”
कानून में स्नातक और खुद को रावण कहने वाले इस नौजवान ने 2015 में उस वक़्त हलचल मचा दी जब उसने सहारनपुर में अपने गांव धडकुली के बाहर एक तख्ती लगा दी जिसमें लिखा था “धडकुली के महान चमार आपका स्वागत करते हैं (द ग्रेट चमार ऑफ़ धडकुली वेलकम यू). अवकाश प्राप्त आईपीएस अफसर एस आर दारापुरी ने द सिटिज़न को बताया कि जेल में बंद होने के बावजूद आज इस युवा नेता के भारी संख्या में समर्थक हैं. पुरानी शैली में राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी से तगड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है. पूरे राज्य भर से दलित युवा भीम आर्मी की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. समानता, न्याय और सशक्तिकरण भीम आर्मी का मूल मंत्र है.
चन्द्रशेखर की गिरफ़्तारी के बावजूद इसके आधार में तेजी से विस्तार को देखते हुए गुजरात के नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी समेत कई अन्य लोगों का समर्थन भी अब भीम आर्मी को मिल रहा है.