कांग्रेस ने राजस्थान में उपचुनावों में तीनों सीटें जीती

पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस ने दोनों सीटें बचाई

Update: 2018-02-01 20:16 GMT

राजस्थान को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नयी प्रयोगशाला के तौर पर उभारने की वसुंधरा राजे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कवायद को उस समय गहरा झटका लगा जब राज्य में दो लोकसभा सीटों और एक विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा. गुरुवार को मतगणना के बाद तीनों सीटें कांग्रेस पार्टी के खाते में गयीं.

पिछले 40 सालों में यह पहला मौका है जब किसी राज्य और केंद्र की सत्ता पर काबिज पार्टी की लोकसभा उपचुनाव में हार हुई है. जैसा कि द सिटिज़न से बात करते हुए कांग्रेस पार्टी की राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा, उपचुनावों के नतीजे अक्सर सत्तारूढ़ दल के पक्ष में जाते है. लेकिन इस बार राजस्थान के मतदाताओं ने गौ – रक्षकों के उत्पात का केंद्र बने अलवर और अजमेर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी को भारी मतों से जिता दिया. गौरतलब है कि 2014 के आम चुनावों में राज्य के सभी 25 लोकसभा सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी.

कांग्रेस पार्टी की जीत से उत्साहित श्री पायलट ने कहा कि उपचुनावों के नतीजे सांप्रदायिकता की राजनीति की हार को दर्शाते हैं और गौ – रक्षकों की हिंसा को पूरी तरह से ख़ारिज करते हैं. इस किस्म की साम्प्रदायिकता सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं बल्कि सभी समुदायों को गहराई से प्रभावित करती है. उन्होंने कहा कि अपने मतों के जरिए लोगों ने यह साफ़ कर दिया है कि वे इस किस्म की विभाजनकारी राजनीति को कतई पसंद नहीं करते और विकास एवं बराबरी के मौके चाहते हैं. उन्होंने आगे बढ़कर कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने के लिए नई पीढ़ी का खासकर धन्यवाद किया.

श्री पायलट ने उम्मीद जतायी कि उनकी पार्टी समाज के सभी समुदाय और वर्गों के समर्थन से इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में राजस्थान को भाजपा से निजात दिलाने में कामयाब होगी. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की भाजपा की चाल में फंसने से बचते हुए उनकी पार्टी आर्थिक मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना जारी रखेगी.

गौरतलब है कि हाल के वर्षों में अलवर दक्षिणपंथी साम्प्रदायिकता के गढ़ के तौर पर उभरा था.वहां हिंसक गौ – रक्षकों की भीड़ को पुलिस का संरक्षण हासिल था. जैसा कि द सिटिज़न की एक ख़बर में बताया था, अकेले अलवर जिले में कम से कम 12 गौ – रक्षक थाने खुले थे.

हथियारबंद गौ – रक्षकों ने पहलू खान की निर्मम हत्या की थी और उमर मोहम्मद को गोली मार दी थी. दूध के रोजगार के लिए मवेशी ले जा रहे किसानों से गौ – रक्षकों द्वारा जबरन पैसे ऐंठने की घटनाएं इस जिले में आम मानी जाती रही है. गौ – रक्षकों की इन हरकतों को मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेताओं का मौन समर्थन हासिल था. यही नहीं, पुलिस द्वारा पीड़ितों और हमलावरों को एक बराबर देखा गया. और मारे गये लोगों के परिवारों की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने में भी पुलिस ने कोई उत्साह नहीं दिखाया गया.

इधर, पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस ने नोआपारा और उलुबेरिया लोक सभा सीट जीत ली. लेकिन इन दोनों जगहों पर निकटतम प्रतिद्वंदी सीपीएम के बजाय भाजपा रही.

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