कर्णाटक में भ्रष्टाचार विरोध पर आधारित प्रधानमंत्री के चुनावी अभियान की हवा निकाली नीरव मोदी ने
नीरव मोदी मसले ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को चुप कराया
कर्णाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक अजीब पसोपेश में फंस गयी है. नीरव मोदी घोटाले ने कांग्रेस पार्टी को भाजपा पर हमला बोलने का एक सुनहरा मौका उपलब्ध करा दिया है. इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोशल मीडिया में इस मुद्दे पर तीखे तेवर दिखा रहे हैं. यही नहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस मसले पर रोजाना ब्रीफिंग भी की जा रही है.
कांग्रेस के हमलावर रुख का नेतृत्व करते हुए राहुल गांधी अपने ट्विटर हैंडल पर ‘#मोदी रोब्स इंडिया’ नाम के हैशटैग के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधा निशाना साध रहे हैं.
वर्ष 2014 से लेकर अबतक हुए सभी विधानसभा चुनावों में भाजपा ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाया था. लेकिन यह पहला विधानसभा होगा जब भाजपा का उच्च नैतिक मानदंडों वाला राग कांग्रेस के आगे कमजोर पड़ेगा. जबकि कांग्रेस पार्टी नीरव मोदी के बैंक धोखाधड़ी से जुड़े सभी तथ्यों और संलग्नता को उजागर करने और इस बारे में मीडिया को नियमित रूप से अवगत कराने में शिद्दत से जुटी है. इस मसले पर राहुल गांधी के ट्वीट से सोशल मीडिया में खासा हलचल मचा हुआ है और भाजपा के खिलाफ एक माहौल बन रहा है.
अभी हाल में, मैसूरू में आयोजित एक जनसभा में कर्णाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, “हाल में (4 फरवरी को ) बंगलुरु में एक रैली में मेरे यह कहने के बाद कि राज्य में 10 परसेंट कमीशन वाली सरकार चल रही है, मुझे लोगों के ढेर सारे फोन आये. लोगों ने बताया कि कमीशन (10 परसेंट से) ज्यादा है. अब यह आपको तय करना है कि आप एक कमीशन वाली सरकार चाहते हैं या मिशन वाली.”
जवाब में, प्रधानमंत्री के इस हमले की हवा निकालते हुए सिद्दारमैया ने ट्वीट किया, “आपने 2016 में नोटबंदी करके आम लोगों को लाइन में लगकर अपना पैसा बैंक में जमा करने के लिए मजबूर किया और फिर जनता का 12,000 करोड़ रूपए लेकर नीरव मोदी (पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले का आरोपी और सोने का अरबपति व्यापारी) को भाग जाने दिया.”
कर्णाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए बी एस येद्दयुरप्पा को अपनी पसंद बनाने को लेकर भी भाजपा को रक्षात्मक रुख अपनाना पड़ रहा है. राज्य में येद्दयुरप्पा की पहचान एक साफ़ छवि वाले नेता के तौर पर नहीं मानी जाती है और एक भूमि घोटाले में उनकी संलग्नता को लेकर लोगों में अच्छी धारणा नहीं है. सिद्दारमैया इस मुद्दे को रोजाना उठा रहे हैं और इसका इस्तेमाल अपने खिलाफ भाजपा द्वारा लगाये जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की धार कुंद करने के लिए कर रहे हैं. मुख्यमंत्री पद के लिए येद्दयुरप्पा की उम्मीदवारी से भाजपा के स्थानीय नेता भी खुश नहीं हैं. वे दबे स्वर में मीडिया को बता रहे हैं कि अपनी “ख्याति” की वजह से येद्दयुरप्पा एक “कमजोर” उम्मीदवार साबित हो रहे हैं.
नीरव मोदी घोटाले ने न सिर्फ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व बल्कि उसके सहयोगी दलों को भी चुप्पी साधने पर मजबूर कर दिया है. केवल शिव सेना इसका अपवाद है, जो इस मुद्दे पर मुखर होकर भाजपा को निशाना बना रही है. पंजाब नेशनल बैंक में 11, 400 करोड़ रूपए के घोटाले के बारे में टिप्पणी करते हुए शिव सेना ने कहा कि “भ्रष्टाचार मुक्त भारत और पारदर्शी सरकार के दावों की कलई मात्र तीन सालों में ही खुल गयी है. महज 100 रूपए और 500 रूपए के कर्ज़ चुकता न कर पाने की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन यहां लोग (लाखों – करोड़ों रूपए का घपला करके) फरार हो रहे हैं.”
‘शिव सेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने अपने एक संपादकीय में लिखा, “इस मामले में प्रधान मंत्री का चुनावी नारा ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ बिल्कुल बेअसर साबित हुआ है. नीरव के खिलाफ पहले भी एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसके बावजूद वह दावोस जाने और अन्य उद्योगपतियों के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलने में कैसे सफल हुआ.”
अकाली दल और तेलुगू देशम ने इस मसले पर एक शब्द भी नहीं कहकर यह साफ़ संदेश दिया है कि भाजपा को इसकी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी.