अब तमिलनाडु के किसानों की 100 दिन की यात्रा से भाजपा सांसत में

भाजपा नेत्री ने किसान नेता को मारा थप्पड़

Update: 2018-03-14 13:55 GMT

तमिलनाडु के किसान, जिन्होंने दिल्ली में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन किया था और जो विरोध का मौलिक तरीका अपनाने के लिए देश भर में खासे चर्चित हुए थे, अब पिछले 1 मार्च से पूरे राज्य की यात्रा पर हैं. इन दो सप्ताहों में राज्य के कई हिस्सों में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ इस यात्रा की भिड़ंत हुई. एक घटना में भाजपा की एक महिला नेता द्वारा किसानों के नेता पी. अय्याकन्नु को थप्पड़ जड़ दिये जाने के माहौल तनावपूर्ण हो गया.

अय्याकन्नु ने द सिटिज़न को बताया कि किसानों को तमिलनाडु की राजनीति में हाशिए पर रहने वाली भाजपा का प्रतिरोध झेलना पड़ रहा है. यह प्रतिरोध धमकी और अपमान की शक्ल में दी जा रही है. फसलों के उचित मूल्य और ऋण माफ़ी के लिए किये जा रहे आंदोलन का समर्थन किये जाने के बजाय भाजपा के कार्यकर्ताओं ने किसानों की यात्रा को कन्याकुमारी जिले के अरल्याईमोझी शहर में रोका और काले झंडे दिखाये.

Full View

यात्रा का नेतृत्व कर रहे पी. अय्याकन्नु को लगातार धमकी भरे फ़ोन मिल रहे हैं. फ़ोन करने वाले एक व्यक्ति ने तो उन्हें “नंगा अय्याकन्नु” कहकर अपमानित किया. यात्रा जारी रखने पर उन्हें इसका अंजाम भुगतने की चेतावनी दी गयी. यात्रा के आठवें दिन, तूतीकोरिन जिले के थिरुचेंदुर में प्रसिद्ध मुरुगन मंदिर के बाहर किसान जब अपने पर्चे बांट रहे थे तभी वहां एक महिला आ धमकी और उसने श्रद्धालुओं से “पर्चा नहीं लेने” को कहा. उसने अय्याकन्नु की ओर इशारा करते हुए उन्हें एक “जालसाज” बताया.

समूह के एक किसान ने इसका प्रतिवाद करते हुए तमिल भाषा में एक अशोभनीय शब्द का इस्तेमाल किया. इस पर उस महिला ने अय्याकन्नु को थप्पड़ जड़ दिया. मंदिर के पदाधिकारियों ने बीच – बचाव कर झगड़े को शांत कराया. उस महिला की पहचान नेल्लैयाम्मल के रूप में की गयी है जो भाजपा की महिला शाखा की जिला सचिव है. पी. अय्याकन्नु ने बताया कि उस महिला को भाजपा की राज्य इकाई के नेताओं द्वारा “मुझे उलझाने के लिए” उकसाया गया था ताकि “यात्रा को बीच में ही ख़त्म करवाया जा सके”. उस महिला ने अय्याकन्नु पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया.

अय्याकन्नु ने कहा कि “इस किस्म की घटनायें भड़का कर राज्य के कुछ तत्व इस यात्रा को पटरी से उतारने की योजना बना रहे हैं”. पेशे से वकील, अय्याकन्नु ने बताया कि उन्होंने किसानों को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने और उकसावे में न आने की सलाह दी है. इस बीच, किसानों को बुरा – भला कहने वाले फ़ोन आने जारी हैं.

अय्याकन्नु ने द सिटिज़न को बताया कि “ अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक तीन सप्ताह के भीतर (29 मार्च तक) कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण का गठन नहीं किया जाता, तो हम प्रधानमंत्री आवास के बाहर आत्महत्या कर लेंगे.”

अकाल और कर्जे के बोझ से परेशान तमिलनाडु के किसान समुदाय की दुर्दशा को उजागर करने के लिए किसानों ने दिल्ली में 144 दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था. भारी कर्जों के बोझ तले दबकर आत्महत्या करने वाले किसानों की खोपड़ी और हड्डियां लेकर उन्होंने प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराया था. उन किसानों ने विरोध के कई तरीके आजमाए थे जिनमें सिर मुंडवाना, नंग-धडंग प्रदर्शन करना, मुंह में मरे हुए चूहों को रखना, काँटों पर सोना और प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर निर्वस्त्र होकर दौड़ लगाना आदि शामिल थे. किसान के इस प्रदर्शन ने भले ही अंतरराष्ट्रीय ख़बरों की सुर्खियां बटोरीं, लेकिन सरकार मूक दर्शक बनी रही. किसानों की मांगों को किसी सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन स्थल पर प्रतीकात्मक हाजिरी जरुर लगाया, पर इससे कुछ खास नहीं निकला.

तमिलनाडु के किसान लंबे समय से अकाल से जूझ रहे हैं और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों के साथ पानी के बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद में उलझे होने के कारण राज्य की नदियां सूखी पड़ी हैं. अब 100 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा राज्य के 32 जिलों से होकर गुजरेगी. यात्रा के दौरान किसान रास्ते में पड़ने वाले संबंधित जिला कलेक्टरों को अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपते हुए और किसान संगठनों द्वारा आयोजित सभाओं को संबोधित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं.

किसानों की मांगें हैं :

- अनुवांशिक रूप से संवर्धित बीजों का उपयोग बंद हो

- मिलावटी भोज्य पदार्थों से मानवता को बचाओ

- एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करो

- फसलों का बीमाकरण

- किसानों के लिए 5000 रूपए का पेंशन निर्धारित करो

- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार छह सप्ताह के भीतर कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण का गठन करो

- कावेरी डेल्टा के जिलों को ‘संरक्षित कृषि क्षेत्र’ घोषित करो

- व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए कॉरपोरेट सेक्टर द्वारा कृषि भूमि के अधिग्रहण का निषेध
 

Similar News

Uncle Sam Has Grown Many Ears

When Gandhi Examined a Bill

Why the Opposition Lost

Why Modi Won