नीति आयोग का समर्थन मूल्य से कम पर खरीद न करने के लिये कानून लाने का इरादा
नीति आयोग का समर्थन मूल्य से कम पर खरीद न करने के लिये कानून लाने का इरादा
नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री. राजीवकुमार ने किसानों से चक्रवृद्धि ब्याज न लेने,वसूली के लिये कुर्की न करने,ऋण पर ब्याज की राशि को किसान द्वारा अदालत में चुनौती देने संबंधित सभी कानून का कडाई से पालन करने के लिये राज्य सरकारों और संबंधित ऐजेंसी को निर्देश जारी करने के लिये आश्वस्त किया है। उन्होने कहा है कि किसान संगठन ऐसे मामलों की जानकारी आयोग को उपलब्ध कराएं और किसानों के बीच कानूनी जानकारी पहुंचाकर जागृति लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार,सदस्य रमेश चन्द्र शर्मा, कृषि सलाहकार डॉ. जे.पी. मिश्रा और भारत सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं किसान की आय वृद्धि संबंधी समिति के अध्यक्ष अशोक दलवाई के साथ राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल की बैठक 17 अप्रैल 2018 को नीति भवन, नई दिल्ली में संपन्न हुई। जिसमें किसान की स्थाई कर्ज मुक्ति और न्यायपूर्ण सुनिश्चित आय के लिए प्रस्तुत 26 सूत्रीय प्रस्ताव पर 2.30 घंटे गंभीरता से विस्तृत चर्चा की गई। मा. उपाध्यक्ष जी ने चर्चा जारी रखने का आश्वासन देते हुये बैठक में उपस्थित मुद्दों पर निर्णय लिये।
राकिसस ने नीति आयोग के समक्ष विस्तृत टिप्पणियों के साथ 26 सूत्री प्रस्ताव लिखित रुप में दिया। किसान को उत्पादन खर्च पर आधारित लाभकारी कीमत देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर राकिसस ने नीति आयोग कोबताया कि कृषि उपज के मूल्य निर्धारण की वर्तमान प्रक्रिया पूर्णत: अवैज्ञानिक और कृषि विरोधी है। किसान के श्रममुल्य निर्धारण में मौलिक अधिकारों का हनन किया जाता है। इसलिये किसानों द्वारा उत्पादित सभी फसलों के लिए नई,वैज्ञानिक,पारदर्शी व कृषक हितैषी उत्पादन खर्च पर आधारित न्यायपूर्ण उचित मूल्य निर्धारण की व्यवस्था बनाने और इसके आधार पर फसल की कीमत देने की मांग की गई। साथ ही बैंक रेगुलेशन एक्ट 1949 के धारा 21(1) के अनुसार फसल कर्ज पर चक्रवृध्दि ब्याज नही लगाने के प्रावधान का कडाई से पालन कराने, किसानों से चक्रवृध्दि ब्याज वसूलने वाले बैंको पर कारवाई, कर्ज के दुगने से अधिक मुलधन लौटाने पर उसे कर्ज वापसी मानने और कर्ज वसूली के लिये खेती की नीलामी तत्काल बंद करने आदि मुद्दे उपस्थित किये। जिसपर आयोग ने उचित कारवाई करने का फैसला किया है।
इसी के साथ प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय का अधिकार, कृषि आधारित जीरो तकनीक तथा लघु पूंजी में चलने वाले हथकरघा, कुटीर एवं लघु उद्योगों को संरक्षण एवं प्रोत्साहन और इस क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादन पर पाबंदी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व्दारा होनेवाली किसानों की लूट रोककर सीधे नुकसान भरपाई देना, किसान विरोधी आयात निर्यात नीति को बदलना, किसान बजट राशि बढाने आदी विषयों पर चर्चा हुई। 26 सूत्री प्रस्ताव पर निर्णय के लिये लिखित रुप में टिप्पणीयां नीति आयोग को सौपी गई।
आयोग ने किसान की समस्याओं पर सरकार व्दारा उठाये जा रहे कदम के बारे में जानकारी दी। एमएसपी के लिये फसलों का दायरा बढाने, समर्थन मूल्य से कम पर खरीद न करने के लिये कानून लाने तथा देश में भावांतर योजना लागू करने पर विचार कर रही है। राकिसस के प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्तमान में जहां इसे प्रायोगिक तौर पर लागू किया है उसकी कमियों को दूर कर लागू करना चाहिए। मध्यप्रदेश की भावांतर योजना किसानों के लिये नुकसानदेह साबित हुयी है तथा महाराष्ट्र में एमएसपी से कम रेट पर खरीद केवल घोषणा साबित हुई है।
राकिसस ने प्रेस विक्षप्ति में यह स्पष्ट किया है कि वर्तमान राजनीतिक ढांचा वैश्विक संस्थानों और उनके लाभार्थी कारपोरेट ताकतों के नियंत्रण में है। जो किसान समुदाय को खत्म करने के लिये नीतियां निर्धारित करना चाहता है। राकिसस का 26 सूत्री प्रस्ताव इस नीति और प्रक्रिया का मुकाबला करने तथा खेती समुदाय के अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित करने के लिये तैयार किया गया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में विवेकानंद माथने (महाराष्ट्र), ऐड. जोशी जेकब (केरल), ऐड. जयंत वर्मा (म.प्र.), दशरथ कुमार एवं रामपाल जाट (राजस्थान), सुखदेव सिंह (पंजाब), पारसनाथ साहू (छतीसगढ़), इरफान जाफरी (म.प्र.), सुनील फौजी (दिल्ली), मिथिलेश दांगी (झारखण्ड), विपिनभाई पटेल (गुजरात), नीरज कुमार सिंह (बिहार) शामिल थे । सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख भी विशेष रुपसे उपस्थित थे।