भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर रिहा

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नये मोड़ की अटकलें

Update: 2018-09-15 10:05 GMT

भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर शुक्रवार को अहले सुबह दो बजकर चालीस मिनट पर उत्तर प्रदेश के एक जेल से रिहा कर दिया गया. आज से एक साल पहले जातीय टकरावों की पृष्ठभूमि में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के मुताबिक, इस 31 वर्षीय नौजवान को निर्धारित समय से दो महीने पहले उनकी “मां के अनुरोध” पर रिहा किया गया.

जेल से बाहर आने के बाद मीडिया को दी गयी अपनी पहली प्रतिक्रिया में चन्द्रशेखर ने साफ़ किया कि अब जबकि राष्ट्रीय चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं, उनके जेहन में भीम आर्मी को लेकर बड़ी राजनीतिक योजनायें हैं.

बिना नाम लिए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “मेरी बात गांठ बांधकर रख लीजिए, अगले 50 साल तक राज करने का दावा करने वाले लोग 2019 में सत्ता से बाहर फेंक दिये जायेंगे.”

उन्होंने आगे जोड़ा, “बहुजनों के हितों की बात करने वाले और अगड़ी जातियों के वर्चस्व के खिलाफ लड़ने वाले लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका गठबंधन टूटने न पाये. उन्हें एकजुट होकर लड़ना चाहिए.”

खबरों के मुताबिक, चन्द्रशेखर ने मीडिया को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि राज्य सरकार “डरी हुई” थी. सुप्रीम कोर्ट की फटकार से खुद को बचाने के लिए राज्य सरकार ने समय से पहले उन्हें रिहा किया है. उनका मानना था कि उनके खिलाफ “सरकार 10 दिनों के भीतर कोई आरोप मढ़ेगी”.

इस युवा नेता को पिछले साल जून में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भड़के जातीय टकराव, जिसमें अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मारपीट और बड़ी संख्या में उनके मकानों में आगजनी की घटनाएं हुईं थीं, के बाद गिरफ्तार किया गया था. इस टकराव में एक व्यक्ति की जान गयी थी और कई लोग घायल हुए थे. पकड़े जाने के बाद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत बंद कर दिया गया.

उनके खिलाफ लगाये गये रासुका की मियाद इस साल नवम्बर में ख़त्म हो रही थी. लेकिन पुलिस विभाग के एक बयान में उनकी “मां के अनुरोध” और “बदली हुई परिस्थिति” को वक़्त से पहले उनकी रिहाई की वजह बताया गया है.

भीम आर्मी की स्थापना तीन साल पहले सहारनपुर में की गयी थी. इस संगठन ने अनुसूचित जाति के लोगों के बीच जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, अनुसूचित जाति के लोगों के सशक्तिकरण को लेकर भीम आर्मी का अभियान अति – उत्साही जरुर है, लेकिन यह लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहता है. यह संगठन 300 स्कूल भी चलाता है.

चन्द्रशेखर को हिमाचल प्रदेश के डलहौज़ी से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने उनके बारे में सुराग देने के लिए 12 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था.

गिरफ्तारी से बचने के दौरान अपने छुपने के अलग – अलग ठिकानों से मीडिया को दिए गये कई साक्षात्कारों में उन्होंने आरोप लगाया था कि योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद राज्य में वचितों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है.

राजनीतिक गलियारों में चन्द्रशेखर की रिहाई को सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा आगामी लोकसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के प्रभाव को कम करने की एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

हाल में इस इलाके के कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में भाजपा को समाजवादी पार्टी – बहुजन समाज पार्टी – अजित सिंह की पार्टी वाले गठबंधन के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था.
 

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