नरेन्द्र मोदी के लिए सट्टा बाजार में चुनावी लाभ का अनुमान
नरेन्द्र मोदी को लोकसभा चुनावों में लाभ होने का अनुमान
भारत – पाक सीमा पर तनाव तथा बालाकोट में भारत के लड़ाकू विमानों द्वारा बमबारी से संबंधित घटनाओं के कारण देश के अंदर नरेन्द्र मोदी के प्रति समर्थन में सकारात्मक वृद्धि हुई है. इसका असर अगले चुनाव में देखने को मिलेगा.
जनता के विभिन्न तबकों के साथ की गई बातचीत में यह तथ्य सामने आया है. इस बातचीत में शेयर बाज़ार के ब्रोकरों से लेकर दूकान में कार्यरत लोग शामिल हुए.
अगामी चुनावों में किसे कितनी सीटें मिलेंगी पर लगातार सट्टा लगाने वाले सट्टेबाजों ने गत कुछ महीनों में भाजपा को मिलने वाली सीटों में इजाफा किया है. सूत्रों के अनुसार, कुछ समय पूर्व तक वे भाजपा को केवल 200 सीटें दे रहे थे. लेकिन बाद में जब सरकार ने कई लोक कल्याणकारी कदम उठाये, तो यह सट्टा बढ़कर 225, फिर 230 - 35 तक पहुँच गया था. फिर इस लड़ाई के बाद यह बढ़कर 260 – 275 के बीच आ गया है. और यह सीटें केवल भाजपा की हैं, राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन की नहीं. गठबंधन की सीटें अलग से हैं .
कानपुर के अग्रणी स्टॉक ब्रोकर पदम् कुमार जैन के अनुसार, “मोदी के अब बहुत बड़े बहुमत से आने की आशा है. यह सब युद्ध के बाद की परिस्तिथियों के कारण हुआ है. पहले इनका ग्राफ जो नीचे जा रहा था, वह अब ऊपर चला गया है.
एक अन्य ब्रोकर विवेक सरन को उड़ी फिल्म की याद आयी . उन्होंने कहा, “जैसा उस फिल्म में था, वैसा ही किया गया है अर्थात इसकी तैय्यारी बहुत दिनों से चल रही थी, इसका असर बहुत अच्छा है. इसके साथ ही, कुम्भ मेले और अयोध्या पर यदि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इनके अनुकूल आ जाता है, तो भाजपा को बहुत अधिक लाभ होगा . इससे विमुद्रीकरण और जीएसटी इत्यादि से जो नकरात्मक सोच बनी थी वह भी घट जायगी. शेयर बाज़ार की भी यही सोच है. इसीलिए बाज़ार पहले तो गिरा, लेकिन उतना नहीं गिरा जितनी आशा था और बाद में उतनी तेजी से संभल भी गया और ऊपर आ गया.”
एक नियमित शेयर निवेशक राजेश सेखरी, जो नरेन्द्र मोदी के प्रबल सामर्थक हैं और अब तेजड़िए हो गए हैं, ने बताया कि बाकी लोग तो यह कह रहे हैं कि मोदी की रिकोर्ड जीत होगी . मैं तो फिर भी अभी 300 सीटें ही दे रह हूँ. चुनाव दो महीने के बाद हैं. लोगो की सोच बहुत अजीब है, किस समय क्याकर बैठे यह कह्ना मुश्किल है.. लेकिन इतना निश्चित है कि सरकार इनकी ही बनेगी. अब साझा सरकार की ज़रुरत नहीं है. मोदी का ज़बर्दास्स्त उठान है.”
श्री सेखरी यह भी मानते हैं कि सीआरपीएफ वाला कांड मोदी की ख्याति गिराने के लिए जान बूझ कर किया गया था. लेकिन मोदी ने इसका उलटा जवाब दे दिया . विश्व ने मोदी का साथ दिया है. किसी के पास अब कुछ कहने को नहीं है. मोदी एक चालाक राजनेता हैं. यह पूछने पर कि यदि यह बात सही निकल आती है कि बालाकोट की बमबारी में कोई मारा नहीं था बल्कि खाली स्थान पर बम गिराकर चले आये थे , तो क्या होगा? श्री सेखरी ने कहा कि ऐसी दशा में मोदी की छवि नीचे जायगी.
एक माध्यम वर्गीय पुस्तक लेखक अरविन्द अरोरा से पूछने पर उन्होंने कहा कि यदि बालाकोट में कुछ नहीं हुआ तो पाकिस्तान के हवाई जहाज हमले पर क्यों उतारू हो गए? पाकिस्तान झूठ बहुत बोलता है. हमने 1965, 1971 और बाद में भी यही देखा है.जो मोदी ने किया है, वह मनमोहन सिंह या यूं कहे कि सोनिया गांधी कभी नहीं कर सकती थी. कांग्रेस कभी न करती. मोदी ने कुछ तो किया है. मोदी की साख बहुत अधिक हो गयी है. राहुल गाँधी को कुछ पता नहीं है. चोर - चोर कहकर कोई वोट मिलते हैं? यह सब कहकर वे केवल अपनी प्रतिष्ठा घटा रहे हैं. उनकी ख्याति नीचे आ रही है.
बिहार के मुज़फ्फ्फरपुर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अनिल प्रकाश ने कहा कि इससे नरेन्द्र मोदी को लाभ हुआ है. लेकिन अभी चुनावों में 45 दिन शेष हैं, यह सोच बदल भी सकती है. लेकिन इमरान खान के अभिनन्दन को रिहा करने के निर्णय से मोदी को हानि हुई है. लड़ाई का बुखार कमज़ोर पड़ गया है.
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक चौधरी के अनुसार मोदी का समर्थन बढ़ेगा. उन्होंने कहा, “यह तो स्वाभाविक ही था. लेकिन इसका असर शहरी क्षेत्रों में तो दिखाई पड़ता है, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति इतनी साफ नही है.”
बिना विस्तार में गए हुए पूर्व नौकरशाह अनिल स्वरुप भी यह मानते हैं कि नरेन्द्र मोदी के स्थिति में सुधार हुआ है.
निजी क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी अनिल मालिक को भी लगता है कि भाजपा की स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, “पहले भाजपा बहुत नीचे चली गयी थी. अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की पूछ बढ़ गयी है. ट्रम्प ने भारत को समर्थन दिया है. इस्लामिक देशों के संगठन ने भारत के विदेश मंत्री को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और वह भी ५० वर्षों के बाद. बाकी देशों ने भी भारत को समर्थन दिया है. भारत को क्रेडिट दिया जा रहा है.”
सेवा उद्योग में कार्यरत एक मुसलमान सज्जन के अनुसार, “मोदी की साख पहले बहुत नीचे चली गयी थी. लेकिन अब इस लड़ाई से फिर ऊपर उन्होंने बढ़त हासिल की है. इमरान खान की भारत के युद्ध बंदी को छोड़ने की घोषणा का पकिस्तान के विरोधी पक्ष ने स्वागत किया. क्योंकि वे यह समझ रहे हैं कि यह युद्ध पाकिस्तान के लिए बहुत घातक होगा.”
एक सैलून में काम करने वाले मुहम्मद अली ने कहा कि पाकिस्तान में लोगो की हालत बहुत बुरी है. वहाँ कुछ है ही नहीं. सब पैसे वाले लोग दुबई में रहते हैं. वह लड़ नहीं सकता है . मोदी तो फिर आ जायेगा.”
पहले के कारखाना मजदूर और आज एक दूकान में कार्यरत विजय शंकर का विश्लेषण है कि मोदी अब बहुत ऊपर निकल गया है. यह महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग ने यह घोषणा की है कि चुनाव समय पर होंगे. इससे पहले मोदी की काफी आलोचना होती थी. लेकिन इस घटना ने मोदी के लिए सोने में सुहागा का काम किया है. विपक्ष के सभी मुद्दे खत्म. यदि इस पर भी विपक्ष बोलेगा, तो अब उनकी पिटाई होगी. अब मोदी से नाराजगी खत्म. उनकी कूटनीति भी सराहनीय रही है.
इस प्रकार, सामज के अलग - अलग तबकों में कमोबेश इस बारे में एक ही सोच है कि इस युद्ध जैसी गतिविधि से नरेन्द्र मोदी को लाभ हुआ है. कितना, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा.