सीकर के प्याज उत्पादक किसानों का आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर

उचित कीमत पर प्याज की सरकारी खरीद की मांग

Update: 2019-03-07 15:15 GMT

सही मुद्दों की पहचान कर लंबा आंदोलन चलाते हुए सरकार को झुकाकर पीड़ित लोगों को राहत दिलवाने की कला में माहिर जांबाज पूर्व विधायक कामरेड अमरा राम ने उचित कीमत पर प्याज की सरकारी खरीद की मांग को लेकर एक बार फिर राजस्थान के सीकर क्षेत्र के प्याज उत्पादक किसानों को एकजुट कर दिया है. उन्होंने किसानों को साथ लेकर महापड़ाव के बहाने किसान आंदोलन को धीरे - धीरे एक निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा कर दिया है, जहां से प्याज उत्पादक आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.

राजस्थान में कई लंबे व बड़े किसान आंदोलनो का सफल नेतृत्व करने वाले कामरेड अमरा राम की देखरेख मे सीकर के रशीदपुरा गांव के आसपास के सैकड़ों गांवों के प्याज उत्पादक किसानों ने 27 फरवरी को अपनी मांगो को लेकर जिला कलेक्ट्रेट के सामने पड़ाव डालकर इस आंदोलन की शुरुआत की. धीरे – धीरे इसने एक विशाल रुप ले लिया और अब हर तबके का ध्यान आकर्षित कर रहा है.

खून जमाने वाली ठंड मे खुले आसमान के नीचे जमीन को बिछावन बनाकर आवश्यक सुविधाओं के बिना बीते 27 फरवरी से पड़ाव डाले बैठे ये प्याज उत्पादक किसान अपनी मांग पूरी करवाए बिना अपना आंदोलन उठाने के लिए तैयार नहीं हैं. लेकिन राज्य सरकार और प्रशासन का ध्यान आज तक उनकी तरफ नही गया है. किसानों में इस बात का रोष है कि वे लोकतांत्रिक तरिके से अपनी जायज मांगें सरकार के सामने रख रहे हैं और प्रशासन ने उनके लिए पीने का पानी व शौचालय तक का भी इंतजाम नही किया है.

लाल झंडे के नीचे सीकर में चल रहे प्याज उत्पादक किसानों का महापड़ाव आज आठवे दिन मे प्रवेश कर गया, लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते इस महापड़ाव के लंबा चलने के आसार नजर आ रहे हैं. पिछले सात दिनों में आंदोलनकारी किसानों ने प्रशासन को ज्ञापन देने के अलावा जिले के विधायकों व सांसद के निवास पर जाकर उन्हें मांगपत्र सौंपने, शहर में रैली व मुख्यमंत्री की शवयात्रा निकालने के साथ – साथ मुख्यमंत्री का पुतला दहन जैसे अनेक कार्यक्रम करके अपने आंदोलन को विस्तार दिया है.

इस आंदोलन में अब कृषि उपज मंडी व सब्जी मंडी के व्यापारी सहित अन्य संगठन भी जुड़ने लगे हैं.

कुल मिलाकर, स्थिति यह है कि किसानों को थका देने की सरकार की नीति से नाराजगी बढ़ रही है. किसानों का एक स्वर से यह कहना है कि सरकार को संकीर्ण रवैये से बाज आकर उचित दाम पर प्याज की सरकारी खरीद समेत उनकी सभी जायज मांगो को मानकर एक लोकतांत्रिक सरकार होने का संदेश देना चाहिये. किसानों ने चेतावनी दी है कि सरकारी उपेक्षा के चलते अगर इस आंदोलन ने विकराल रुप लिया, तो सरकार व प्रशासन को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. सरकार की यह जिम्मेदारी है कि आठवे दिन मे प्रवेश कर चुके और अब तक पूरी तरह शांतिपूर्ण चल रहे इस किसान महापड़ाव को जल्द से जल्द ख़त्म कराये.
 

Similar News

Uncle Sam Has Grown Many Ears

When Gandhi Examined a Bill

Why the Opposition Lost

Why Modi Won